नई दिल्ली । सामूहिक दुष्कर्म की 16 दिसंबर की घटना के किशोर दोषी को आज रिहा कर दिया गया और एक अज्ञात स्थान पर किसी एनजीओ की देखरेख में भेज दिया गया। अब वह पुलिस की निगरानी में नहीं रहेगा।
बीस वर्षीय दोषी की रिहाई आज ऐसे समय में हुई जब पीडि़ता के माता-पिता ने उसकी रिहाई के खिलाफ और उसे मौत की सजा दिए जाने की मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ लगातार दूसरे दिन प्रदर्शन में भाग लिया। पुलिस सूत्रों ने कहा, ”हमने उसे एक एनजीओ के साथ भेज दिया है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि जब दो दिन पहले उससे पूछा गया कि क्या वह उत्तर प्रदेश के बदायूं में अपने घर जाना चाहेगा या किसी एनजीओ की देखरेख में रहना चाहेगा तो उसने सुरक्षा कारणों से एनजीओ के साथ जाने का विकल्प चुना। दिल्ली महिला आयोग ने कल देर रात उसकी रिहाई पर रोक लगाने के लिए प्रयास किए थे लेकिन उच्चतम न्यायालय ने आधी रात के बाद दिए गए फैसले में रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में मामले को एक अवकाशकालीन पीठ के समक्ष भेजा जो कल मामले पर सुनवाई करेगी। किशोर अपराधी की रिहाई पर दिल्ली उच्च न्यायालय के रोक लगाने से इनकार के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने से सरकार और दिल्ली पुलिस किशोर को रिहा नहीं करेंगे। पीडि़ता के पिता बद्री सिंह पांडेय ने कहा, ”जहां तक रिहाई की बात है तो आप असहाय हैं। हमारी सरकार, चाहे केंद्र की हो या राज्य की, तभी सुनती हैं जब आप विरोध प्रदर्शन करते हैं। तब लाठीचार्ज कराया जाता है। वरना उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।ÓÓ पीडि़ता की मां आशा देवी ने कहा, ”सब जानते हैं कि उसे रिहा किया जाएगा तो पिछले तीन साल में ही उचित कदम उठाए जाने चाहिए थे। दोषी नाबालिग की रिहाई को रोकने से इंकार करने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने अवकाश पीठ के पास भेज दिया था।