हरियाणा में जाट आरक्षण पर कैबिनेट की मुहर

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चंडीगढ़। हरियाणा में हुए हिंसक जातीय आंदोलन के बाद सरकार ने जाटों को पिछड़ा वर्ग बीसी में अलग सी श्रेणी बनाकर आरक्षण देने का फैसला किया है। बीसी ए और बीसी बी के बाद बनाई गई बीसी सी श्रेणी में जाटों के साथ -साथ जट सिख, रोड़, त्यागी और बिश्नोई को भी 10 फीसद आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। सरकार ने जाट समुदाय के साथ-साथ गैर जाट लोगों का भी पूरा ख्याल रखा है।
सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह तमाम फैसले हुए। बैठक में जाट आरक्षण प्रारूप पर सहमति बनने के बाद मनी बिल राज्यपाल के पास भेज दिया गया है। इस बिल के सोमवार को ही विधानसभा में पेश होने की संभावना थी, लेकिन अब मंगलवार को पेश होगा।
गैर जाट मंत्रियों और विधायकों के भारी दबाव के चलते सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को प्रथम व द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण दो फीसद तक बढ़ा दिया है। यह लाभ बीसी ए और बीसी बी श्रेणी के लोगों को भी मिला है। उनके आरक्षण में एक-एक फीसद की बढ़ोतरी की गई है। प्रथम व द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में बीसी सी की नई कैटेगरी में शामिल पांच जातियों को छह फीसद आरक्षण का लाभ मिलेगा। भविष्य में पिछड़ा वर्ग के लोगों से जुड़ी समस्याओं व मांगों के स्थायी समाधान के लिए सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को वैधानिक दर्जा देने का भी फैसला लिया है।
भाजपा सरकार ने पहले से आरक्षण का फायदा ले रहे लोगों को लुभाने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा है। खास बात यह रही कि जाटों को अब संवैधानिक और कानूनी रूप से आरक्षण मिलेगा।
केंद्र को लिखा जाएगा पत्र
अब राज्य में आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 67 फीसद हो जाएगी, जो संविधान के अनुसार संभव नहीं है। सरकारें केवल 50 फीसद तक आरक्षण दे सकती हैं। अब मनोहर सरकार आरक्षण विधेयक को विधानसभा में पास करवा कर इसे केंद्र सरकार के पास भेजेगी। केंद्र से आग्रह किया जाएगा कि इस बिल को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाला जाए ताकि संवैधानिक तौर पर आरक्षण लागू रहे और किसी तरह की कानूनी अड़चन न पैदा हो।
पांच गैर जाट भाजपा विधायकों ने नौकरियों पर मांगा श्वेतपत्र
हरियाणा में जाट और गैर जाट के आरक्षण को लेकर भाजपा में कलह कम नहीं हो रही है। मंत्रिमंडल की बैठक में जाट आरक्षण विधेयक पर मुहर लगने के बाद इसे मंगलवार को विधानसभा में बिल के रूप में पेश किया जाएगा। वहीं भाजपा के पांच गैर- जाट विधायकों ने स्पीकर कंवरपाल गुर्जर को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव देकर नई मुश्किल खड़ी कर दी है। विधायकों ने प्रदेश में अभी तक दी गई सरकारी नौकरियों पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। ये पांचों विधायक दक्षिण हरियाणा अहीरवाल के हैं।
भाजपा की प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक में नौकरियों पर श्वेतपत्र जारी करने का मुद्दा उठ चुका है। प्रदेश कार्य समिति की बैठक में भी इस पर चर्चा होने की संभावना थी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने विधायक रणधीर कापड़ीवास को बोलने से रोक दिया था। रेवाड़ी से भाजपा विधायक कापड़ीवास ने नौकरियों पर श्वेत पत्र लाने की मांग के मद्देनजर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दे दिया है। यह स्पीकर के ऊपर निर्भर करेगा कि वे इस प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार करते हैं अथवा खारिज करते हैं।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सोहना से विधायक तेजपाल तंवर, नांगल- चौधरी से विधायक डॉ. अभय सिंह यादव, नारनौल से विधायक ओमप्रकाश तथा बावल से विधायक डॉ. बनवारी लाल के हस्ताक्षर बताए जाते हैं। नियमों में प्रावधान है कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सत्र की कार्यवाही शुरू होने से एक घंटा पहले दिया जा सकता है। विधायकों ने डेढ़ घंटा पहले स्पीकर सचिवालय में प्रस्ताव को जमा करवा दिया।
रणधीर कापड़ीवास का कहना है कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में 1966 से लेकर अब तक लगी नौकरियों का ब्योरा सरकार से मांगा गया है। सरकार यह बताए कि इस अवधि में किस जाति के लोगों को कितनी नौकरी मिली। अगर 1966 तक का रिकॉर्ड सरकार के पास उपलब्ध नहीं है तो कम से कम पिछले दस से 15 वर्षों में दी गई नौकरियों का ब्योरा दिया जाना चाहिए।

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