संसद में बोले पीएम मोदी, संविधान में बदलाव आत्महत्या होगी

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को विपक्ष की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाते हुए संसद में कहा कि उनकी सरकार बहुमत से फैसलों की बजाय सहमति से आगे बढ़ने में यकीन रखती है। संविधान दिवस के उपलक्ष्य में लोकसभा में दो दिनों तक चली चर्चा का जवाब देते हुए पीएम ने अपनी बात रखी।

पीएम ने कहा कि सहमति लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। सदन को अंतिम वक्त तक सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए और बहुमत के आधार पर फैसला अंतिम विकल्प होना चाहिए। 

पंडित नेहरू और सभी सरकारों का योगदान
पीएम ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के योगदान को भुलाने या नजरअंदाज करने के कांग्रेस के आरोप को खारिज किया। मोदी ने याद दिलाया कि उन्होंने लालकिले की प्राचीर से कहा था कि देश को आगे बढ़ाने में सभी सरकारों का योगदान रहा है। आज वह फिर यही दोहरा रहे हैं।

अधिकारों के साथ कर्तव्यों पर भी ध्यान दें
पीएम ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में ऐसा वक्त आ गया है, जब हमें अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों की बात भी करनी चाहिए। राष्ट्रपति महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ अधिकारों की बात करेंगे तो लक्ष्य हासिल नहीं होगा। 

इंडिया फर्स्ट ही मेरा धर्म
70 मिनट के अपने भाषण में मोदी ने असहिष्णुता को लेकर हो रहे हमलों का जवाब भी दिया। उन्होंने कहा, ‘विविधता में एकता ही भारत की ताकत है और इसे और मजबूत करने की जरूरत है। मेरी सरकार के लिए इंडिया फर्स्ट ही धर्म है और एकमात्र धर्मग्रंथ संविधान है।’ डॉ. भीम राव अंबेडकर की 125वीं जयंती समारोह के उपलक्ष्य में लोकसभा में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता विषय पर शुक्रवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई अन्य सदस्यों ने भी बात रखी।

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