लखनऊ। केंद्र सरकार ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को निलंबन आदेश को कैंसिल कर दिया है। यहां बता दें कि मुलायम सिंह यादव से मतभेद के बाद यूपी सरकार ने इनके निलंबन का आदेश दिया था। अब अमिताभ ठाकुर ने गृह विभाग को आदेश की कॉपी देते हुए उन्हें खुद को बहाल करने की मांग की है। क्या था मुलायम-अमिताभ के बीच मतभेद…
– आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर का निलंबन सपा के मुखिया मुलायम सिंह द्वारा फोन पर दी गई धमकी को सार्वजनिक किए जाने के चलते हुए था।
– निलंबन के आदेश के साथ ही यूपी सरकार ने आईपीएस अफसर के सम्पत्तियों के जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस को सौंप दी थी।
निलंबन अवधि में निलंबन न बढ़ाया जाना बना आधार
– 11 अक्टूबर 2015 से निलम्बित चल रहे अमिताभ ठाकुर के निलंबन की अवधि 90 दिन के समाप्त होने के बाद सरकार की तरफ से बढ़ाई गई थी।
– निलंबन अवधि के विस्तार के विरोध में अमिताभ ठाकुर ने इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल कर विरोध जताया था।
– याचिका पर सुनवाई के दौरान अमिताभ ने गृह सचिव, भारत सरकार राजीव महर्षि के खिलाफ दायर अवमानना याचिका को हलफनामे में आधार बनाते हुए गलत बताया था।
– याचिका पर गृह मंत्रालय के अवर सचिव मुकेश साहनी ने कोर्ट को बताया कि अखिल भारतीय अनुशासन और अपील नियमावली के नियम 3(8) (ए) के अनुसार अमिताभ का निलंबन 90 दिन के पहले नहीं बढ़ाए जाने के कारण 11 अक्टूबर को समाप्त हो गया है।
– इस संबध में यूपी सरकार को 31 मार्च 2016 के पत्र द्वारा आदेश दिए जा चुके हैं।
– कोर्ट ने गृह मंत्रालय के सचिव के तर्क को आधार बनाते हुए यूपी सरकार के निलंबन आदेश को खारिज कर दिया है।