नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में व्यवस्था दी कि पति की मृत्यु के बाद यदि घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं है, तो पूरी संपत्ति विधवा के नाम हो जाएगी। इसमें पुत्रियों का कोई हक नहीं होगा। यह व्यवस्था देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला को मात्र चौथाई हिस्सा देने के हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। जस्टिस कुरियन जोसेफ व जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा कि हिंदू कानून में महिलाओं के अधिकार, अधिनियम 1933 की धारा 8 (1) (डी) के प्रावधान में स्पष्ट हैं। अगर पति की मौत के बाद परिवार में कोई पुत्र वारिस नहीं है और पत्नी ही अकेली है, तो उस स्थिति में वह पूरी संपत्ति की मालिक होगी।
इसमें विवाहित या अविवाहित पुत्रियों का कोई हिस्सा नहीं होगा। इसी के साथ अदालत ने स्पष्ट किया कि हिस्सा उन्हें तभी मिलेगा जब संपत्ति का बंटवारा किया जाए। इसमें पुत्रियों का भी पूरा हक होगा। लेकिन पति की मृत्यु के मामले में उसकी पूरी संपत्ति पत्नी को ही मिलेगी। चाहे यह संपत्ति उसके पति को जीवित रहते हुए परिवार में हुए बंटवारे के बाद ही क्यों न मिली हो। इस बंटवारे का उत्तरजीविता के बाद आई संपत्ति पर कोई असर नहीं होगा।
मैसूर के एक मामले में पति की मृत्यु के बाद परिवार में गौरम्मा व उसकी तीन बेटियां बचीं। उत्तरजीविता के आधार पर संपत्ति पत्नी के पास आ गई। उसने संपत्ति का कुछ हिस्सा बेच दिया और शेष अपनी एक पुत्री को दे दिया। इस पर अन्य पुत्रियों ने आपत्ति की और कहा कि संपत्ति में उनका हिस्सा भी है। निचली अदालतों ने चार हिस्सों में बंटवारे का फैसला सुनाया था।