नई दिल्ली । प्राचीन काल की विलुप्त नदी सरस्वती के अस्तित्व, नदी के बहाव मार्ग, आकार और इसके विलुप्त होने के कारणों तथा इसे पुनर्जीवित करने समेत विभिन्न आयामों एवं मौजूद अध्ययनों पर बारीकी से विचार करने के लिए केंद्र सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय किया है। जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने ‘भाषाÓ से कहा कि सरस्वती नदी कोई मिथक नहीं है और अब इसको लेकर वैज्ञानिक साक्ष्य मिलने की बात सामने आई है। कई शिक्षाविदों ने इस विषय पर अध्ययन किया है और नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी ने इस बारे में कुछ जानकारी उपलब्ध कराई है। इन सभी विषयों पर समग्र रूप से विचार करने की जरूरत है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कुमाउूं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के एस वाल्दिया के नेतृत्व में एक समिति का गठन करने का निर्णय किया गया है। हालांकि अभी अन्य सदस्यों के नाम तय नहीं किए गए हैं। इस विषय पर पहल करते हुए राजस्थान सरकार ने इसकी खोज के कार्य को आगे बढाने के लिए चार वर्षो का एक खाका तैयार किया था और केंद्र सरकार का इसके लिए करीब 70 करोड़ रूपए वित्तीय मदद देने का प्रस्ताव था जिसे मंजूरी मिल गई है। हरियाणा सरकार भी अपने यहां इस कार्य को आगे बढ़ा रही है।