विमान हादसे में जख्मी होने से हुई थी नेताजी की मौत

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 लंदन। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के रहस्यमय तरीक से लापता होने से पर्दा हटाने का प्रयास करते हुए ब्रिटेन आधारित एक वेबसाइट ने कुछ कथित चश्मदीद गवाहों के बयान जारी किए हैं जिनसे ऐसा लगता है कि इस स्वतंत्रता सेनानी का ताईवान में हुए विमान हादसे मेें निधन हुआ।।
 पंाच चश्मदीदों के हवाले से यह पुष्टि करने का प्रयास किया गया है कि 18 अगस्त, 1945 को ताईपई में हवाई अडडे के बाहरी क्षेत्र में विमान हादसे में इंडियन नेशनल आर्मी के संस्थापक का निधन हुआ। इन चश्मदीदों में नेताजी के एक करीब सहयोगी, दो जापानी डॉक्टर, एक दुभाषिया

और एक ताईवानी नर्स शामिल हैं।  डब्ल्यू डॉट डब्ल्यू डॉट डब्ल्यू डॉट बोसफाइल्स डॉट इंफो ने एक बयान में कहा है, ”इस बात को लेकर इन पांचों में कोई दो राय नहीं है कि 18 अगस्त, 1945 की रात को बोस का देहांत हो गया।  बोस के सहायक कर्मी कर्नल हबीबुर रहमान ने इन हादसे के छह दिन बाद 24 अगस्त 1945 को एक लिखित और हस्ताक्षरित बयान दिया था जिसमेंं उनसे बोस द्वारा कहे गए अंतिम शब्दों की पुष्टि होती है। रहमान हादसे के दिन बोस के साथ थे लेकिन वह बाल बाल बच गए। रहमान के बयान में कहा गया है, ”निधन से पहले उन्होंने :बोस ने: मुझसे कहा था कि उनका अंत समीप है और उन्होंने मुझसे उनकी ओर से यह संदेश देशवासियों को देने कहा था: ‘मैं भारत की आजादी के लिए अंततक लड़ा और अब मैं उसी प्रयास में अपना जीवन दे रहा हूं। देशवासी स्वतंत्रता संघर्ष जारी रखें जबतक कि देश स्वतंत्र न हो जाए। आजाद हिंद जिंदाबाद।  सितंबर, 1945 में पुलिस अधिकारियों- फिनली और डेविस की अगुवाई में दो भारतीय खुफिया टीमें जांच के लिए बैंकाक, साईगोन और ताईपे गईं। ए टीमें इस निष्कर्ष पर पहुंची थीं कि बोस की मौत विमान हादसे के फलस्वरूप हुई थी। टीमों ने एच के रॉय एवं के पी डे से भी सहयोग लिया था।  उन्हें जापानी सदर्न आर्मी के चीफ ऑफ स्टाफ से हिकारी किकान को भेजे गए एक टेलीग्राम की प्रति मिली। हिकारी किकान एक ऐसा निकाय था जो जापान सरकार और बोस की ‘अंतरिम स्वतंत्रत भारत सरकार के बीच संपर्क सेतु का काम करता था।

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