शनि शिंगणापुर में 400 साल पुरानी परंपरा टूटी, महिलाओं की पूजा

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अहमदनगर। स्त्री-पुरूष समानता के अभियान में मिली एक बड़ी जीत में महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में मुख्य पूजा स्थल पर महिलाओं के प्रवेश पर सदियों से चली आ रही पाबंदी को आज हटा लिया। यह कदम कार्यकर्ताओं के लम्बे संघर्ष और अदालत के निर्देशों के बाद उठाया गया है। मन्दिर के न्यास द्वारा पश्चिम महाराष्ट्र के इस मंदिर के मुख्य क्षेत्र में सभी श्रद्धालुओं को अबाधित प्रवेश की सुविधा देने के निर्णय के कुछ ही समय बाद कुछ महिलाओं ने पवित्र स्थल पर प्रवेश किया और पूजा की।
 निर्णय की घोषणा के कुछ घंटे बाद भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई अहमदनगर के शनि मन्दिर पहुंची तथा उन्होंने पूजा अर्चना की। तृप्ति ने इस मुद्दे पर लंबे अभियान की अगुवाई की थी।  तृप्ति के मौके पर पहुंचने से पहले ही दो महिलाओं ने पवित्र स्थल में प्रवेश कर पूजा-अर्चना की तथा प्रतिमा पर तेल चढ़ाया। यह दोनों महिलाएं कुछ समय पहले भूमाता ब्रिगेड से अलग हुई थीं। इसी के साथ कुछ धार्मिक स्थलों पर स्त्री-पुरूषों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ तीन माह तक चले अभियान में एक बड़ी सफलता मिली है। महत्वपूर्ण है कि मंदिर न्यास का यह निर्णय गुड़ी पडवा के पवित्र दिन पर आया है जब महाराष्ट्र भर में नववर्ष मनाया जाता है। निर्णय का स्वागत करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, ”आधुनिक समय को ध्यान में रखते हुए जाति एवं लिंग के आधार पर भेदभाव को लोगों के दिमाग से निकाला जाना चाहिए।ÓÓसुबह के समय शिंगणापुर गांव के करीब 250 पुरूषों ने मंदिर के गर्भग्रह में जाकर गुड़ी पड़वा की पूजा की हालांकि मंदिर प्रशासन ने उन्हें दूर रखने का प्रयास किया था।
 शनि शिंगणापुर के पुलिस निरीक्षक प्रशांत मांडले ने पीटीआई-भाषा को बताया कि शिंगणापुर गांव के करीब 250 निवासियों ने मंदिर के गर्भग्रह तक जाकर दर्शन किए क्योंकि यह उनकी वार्षिक परंपरा का हिस्सा है।्र ट्रस्ट के सदस्यों ने उनके प्रवेश का विरोध किया जिसके बाद इलाके में तनाव बढ़ गया और पुलिस तुरंत मौके पर रवाना हुई। इस घटना के बाद देसाई अपने समर्थकों के साथ पुणे से शिंगणापुर के लिए रवाना हो गई ताकि शनि मंदिर में पूजा अर्चना की जा सके।

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