सीवान।
27 मार्च 2005 को राजद के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन ने मुख्यमंत्री आवास में कहा था कि राबड़ी सरकार को बचाने के लिए मैं किसी भी हदतक जा सकता हूं। यह खबर हिन्दुस्तान में छपी भी थी। तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा की कार्रवाई के बाद शहाबुद्दीन 2003 में जेल चले गए थे।
हालांकि 2005 के फरवरी के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन डीएम सीके अनिल ने शहाबुद्दीन को बेउर जेल ट्रांसफर कर दिया था। चुनाव के बाद शहाबुद्दीन को हाईकोर्ट से मुन्ना चौधरी अपहरण कांड में जमानत मिल गई।
तब तत्कालीन डीएम सीके अनिल ने सीसीए के तहत शहाबुद्दीन को जेल से बाहर आने पर रोक लगा दी थी। इधर कार्यवाहक राबड़ी सरकार ने कैबिनेट से पास कर शहाबुद्दीन पर सीसीए हटवाया और तब जाकर शहाबुद्दीन 27 मार्च को बाहर निकले और सीधे सीएम आवास पहुंचे। वहीं पर उन्होंने सरकार बनाने के लिए पहल की।
हालांकि सफलता नहीं मिली। पुन: 24 अप्रैल को सीके अनिल व एसपी रत्न संजय ने उनके घर प्रतापपुर में छापेमारी कर हथिायार, गोली व अन्य सामान बरामद किया जिसमें आधा दर्जन मामले उनपर दर्ज कर दिए गए। उसके बाद शहाबुद्दीन फरार हो गए। फिर उनकी दिल्ली से 7 नवम्बर 2005 को गिरफ्तारी की गई। तब से अबतक वे जेल में बंद हैं। 2000 की राबड़ी सरकार बनाने में शहाबुद्दीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।