नई दिल्ली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने का प्रभाव भारत पर कम देखने को मिलेगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के मुताबिक मौजूदा दौर में भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहा है। इस दौरान मुद्रास्फीति की दर में कमी आई है और राजकोषिय घाटा भी पहले की अपेक्षा कम हुआ है। यही वजह है कि भारत में इसका प्रभाव कम देखने को मिलेगा। उन्होंने साफतौर पर कहा है कि भारतीय बाजार में अमेरिका के इस कदम का असर कम होगा, लिहाजा चिंता की कोई बात नहीं है।
गौरतलब है कि वित्तीय संकट खत्म होने के लगभग एक दशक बाद पहली बार फेडरल रिजर्व ने बुधवार को उम्मीद के मुताबिक ही ब्याज दरों में 0.25 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी करने का फैसला कर लिया है। इस इज़ाफ़े के बाद ब्याज दर 0.25 से 0.50 फ़ीसदी के बीच आ जाएगी। अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने अगले साल के आर्थिक विकास दर के अनुमानों में भी संशोधन किया है, 2.3 फ़ीसदी से बढ़ा कर इसे 2.4 फ़ीसदी कर दिया गया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ये महत्वपूर्ण फैसला उस वक्त लिया गया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात सही नहीं हैं।