उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षा स्तर में सुधार की जरूरत : प्रणब मुखर्जी

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 रांची । राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के स्तर में सुधार दोहराते हुए कहा कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ 200 संस्थानोंं की सूची में भारत के सिर्फ आईआईटी दिल्ली और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरू शामिल हैं। उन्होंने कहा, हालांकि अन्य संस्थान भी इसमें शामिल होने के काफी करीब हैं लेकिन इसकेे लिए उन्हें अपने कामकाज और शोध में थोड़ा बदलाव करना होगा।
 प्रणब मुखर्जी ने कहा, ”इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में आपसी शैक्षणिक विनिमय एवं शोध कार्यों में सहयोग करना होगा ताकि एक संस्थान की उपलब्धियों का लाभ अन्य संस्थानों को भी मिल सके। झारखंड के दो दिवसीय दौरे के अंतिम दिन आज यहां 88वें निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद बीआईटी मेसरा के हीरक जयंती एवं दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उपरोक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा, ”भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है। वर्तमान में देश में 731 विश्वविद्यालय और 36,000 से अधिक डिग्री कालेज हैं। इतना ही नहीं 16 आईआईटी और अनेक बड़े प्रबंधन संस्थान हैं। लेकिन इन सभी संस्थानों के स्तर में उन्नयन के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी। प्रणब ने सवाल किया, ”जब छवीं शताब्दी ईसा पूर्व से 12वीं सदी तक भारत के इसी भाग में नालन्दा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय तथा ज्ञान के केन्द्र थे जिनसे पूरी दुनिया सीखती थी, तो आज ऐसा क्यों नहीं हो सकता है? राष्ट्रपति ने शिक्षा के क्षेत्र में दूरसंचार क्रांति और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा और कौशल विकास प्रशिक्षण देने को कहा, ताकि वे संस्थानों से बाहर निकलकर रोजगार प्राप्त करने वाले बनें, नाकि रोजगार खोजने वाले। कार्यक्रम में झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री रघुवर दास एवं संस्थान की गवर्निंग बाडी के अध्यक्ष सीके बिड़ला तथा कुलपति प्रोफेसर मनोज कुमार मिश्रा ने भी अपने वक्तव्य दिए।

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