अत्याचार की किसी भी घटना को समाज के लिए कलंक बताते हुए मंगलवार को कहा कि
देश के 125 करोड़ लोगों में से किसी की भी देशभक्ति पर प्रश्न नहीं उठाया
जा सकता है और न ही किसी को हर समय अपनी देशभक्ति का सबूत देने की आवश्यकता
है।
मोदी का यह बयान विपक्ष के इन आरोपों की पष्ठभूमि में आया है कि देश में जो
कोई भी सरकार या उसकी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाता है, उसको कुछ लोग
राष्ट्रविरोधी करार देते हुए देश छोड़ने की सलाह देने लगते हैं।
संविधान दिवस पर संविधान के प्रति प्रतिबद्धता जताने और डॉ. बी. आर.
अम्बेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर राज्यसभा में तीन दिनों तक हुई चर्चा
का जवाब देते हुए मोदी ने कहा, भारत के 125 करोड़ नागरिकों में से किसी की
भी देशभक्ति पर शक करने का कोई कारण नहीं है और न ही कोई संदेह कर सकता है।
हर समय किसी को अपनी देशभक्ति का सबूत देने की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री ने एकता का मंत्र देते हुए कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश
में बिखरने के कई बहाने हो सकते हैं लेकिन जुड़ने के अवसर कम होते हैं।
हमारा दायित्व है कि हमें जुड़ने के अवसर खोजने चाहिए।
मोदी ने सदन में अपने करीब 40 मिनट के जवाब में विपक्ष के प्रति दोस्ताना
रवैया अपनाए रखा और दलगत राजनीति के मुद्दों से परहेज किया। उनके इस रवैए
के पीछे उच्च सदन में जीएसटी सहित लंबित कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित
कराना हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें कभी-कभी पक्ष और विपक्ष से उपर उठकर निष्पक्ष होना
चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी के खिलाफ अत्याचार होता है तो यह समाज और
देश के लिए कलंक है। हमें इस पीड़ा को महसूस करना चाहिए और यह सुनिश्चित
करना चाहिए कि ऐसा फिर नहीं हो।