मृत्युंजय पाराशर
जन इंडिया टीम के सर्वे अनुसार लखनऊ शहर की कुल जनसंख्या है लगभग 42 लाख | प्रदेश सरकार के सूचना विभाग के आंकड़ों के अनुसार शहर में दैनिक अखबारों की कुल बिक्री है लगभग नब्बे लाख प्रति प्रतिदिन | इन अखबारों को सरकारी विज्ञापन मिले कुल 125 करोड़ रुपयों के |
यह आँकड़ा साल 2014-15 का है और ये 125 करोड़ के सरकारी विज्ञापन भी साल 2014-15 के ही दौरान दिए गए |
सरकारी आंकड़े यह भी कहते हैं कि अनुमानतः जनसंख्या के 20 प्रतिशत परिवार ही खरीदते हैं अखबार | इस हिसाब से शहर में कुल परिवार हुए लगभग 8 लाख 50 हज़ार (यदि प्रति परिवार पांच की संख्या हो तो) | इस मुताबिक शहर में दैनिक अखबार खरीदने वाले कुल परिवारों की संख्या हुई लगभग 2 लाख 10 हजार | तो मालिक देखिए, तहजीब और अदब का शहर कितना पढता है / कितना बिकता है और कितना विज्ञापित करता है | साथ में लोकतंत्र के पहले और चौथे पेशेवर खंभे की जुगलबंदी का आनंद लेते हुए जरा यह सोचिये कि साल 2014 के इन आंकड़ों में, चुनावी साल 2016-17 आते-आते उत्तर प्रदेश की राजधानी में ही अखबारों के बिकने और उनको मिलते सरकारी विज्ञापनों की संख्या और कीमत में कितनी बढ़त हुई होगी, पूरा प्रदेश अभी किनारे रखते हैं |
लखनऊ के पांच सौ से भी ज्यादा अखबार है राष्ट्रीयकृत जिनमें शायद बाजार में दिखते है मात्र 20-30 अखबार..
आखिर किन पाठकों के लिए लखनऊ शहर आंकड़ों में छापता है 90 लाख अखबार रोजाना ?
किन अखबारों में जाते हैं ये सैकड़ों करोड़ के विज्ञापन ?
फेसबुक मित्र अवनीश पी. एन. शर्मा
की एक रिपोर्ट
www.janindianews.com