नई दिल्ली : पठानकोट स्थित वायुसेना ठिकाने पर हमले के बाद आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए एनएसजी के करीब 300 ब्लैक कैट कमांडों को तैनात किया गया था।
इन कमांडों ने अपने आधुनिक और स्मार्ट हथियारों की मदद से आतंकियों को रणनीतिक क्षेत्र में न केवल घुसने से रोका, बल्कि जानमाल का कम से कम नुकसान हो इसका ध्यान रखते हुए आतंकियों को ढेर भी कर दिया।
हालांकि, इस पूरे अभियान में एनएसजी के कुल 21 कमांडो घायल हुए हैं। वहीं लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन ई कुमार ग्रेनेड को निष्क्रिय करते वक्त शहीद हो गए।
तीन किस्तों में पहुंचे कमांडो
अभियान पर नजर रखने वाले सूत्रों ने बताया कि हमले के तुरंत बाद 1 जनवरी को वायुसेना के विशेष परिवहन विमान से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से 160 ब्लैक कैट कमांडों पठानकोट के लिए रवाना हुए। इसी प्रकार 80-80 कमांडों के दो दस्तों को क्रमश : 3 और 4 जनवरी को पठानकोट भेजा गया, ताकि पहले से अभियान को अंजाम दे रहे कमांडों को रणनीति मदद पहुंचाई जा सके।
1 जनवरी को मिला आदेश
एनएसजी के सूत्रों ने बताया कि नए साल की पहली तारीख होने की वजह से मानेसर में केंद्रित कमांडों को हर समय अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया था। लेकिन उसी दिन सुबह गृहमंत्रलय ने मानेसर के कमांडर को दल को कार्रवाई के लिए तैयार होने को कहा। इसके बाद 1 जनवरी को ही दोपहर तीन बजे कमांडो पठानकोट के लिए विमान पर सवार हो चुके थे।
पहले दल का नेतृत्व एनएसजी के महानिरीक्षक दुष्यंत सिंह कर रहे थे। यहां तक कि बल के महानिदेशक आरसी तयाल भी रविवार से ही पठानकोट में डेरा डाले हुए थे।
‘ब्लैक थंडर’ से उन्नत हथियार
एनएसजी ने 2008 में मुंबई हमले के दौरान आतंकियों के खिलाफ चलाए ऑपरेशन ऑप ब्लैक थंडर के मुकाबले अधिक उन्नत हथियारों का इस्तेमाल किया। इनमें एमपी-5 असाल्ट राइफल, ग्लॉक पिस्तौल, दीवारों को चुटकी में धराशायी करने वाले विस्फोटक प्रमुख हैं।
सूत्रों ने बताया कि दीवारों को धराशायी करने वाले विस्फोटक का इस्तेमाल एनएसजी ने मुंबई हमले के दौरान भी होटल ताज के दरवाजों को उड़ाने में किया था, जिसके पीछे आतंकी छिपे हुए थे। इस इस्तेमाल विस्फोटक उससे भी अधिक शक्तिशाली थे।
खोजी कुत्ते बने मददगार
एनएसजी ने इस पूरे अभियान में कैनाइन स्क्वॉड (के-9)के करीब आधे दर्जन खोजी कुत्तों की भी सेवाएं ली है। ये कुत्ते वायुसेना ठिकाने में आतंकियों द्वारा छोड़े गए विस्फोटकों आदि का पता लगाने के लिए चल रहे तलाशी अभियान में भी मदद कर रहे हैं।
दो आतंकी को किया ढेर
सूत्रों ने बताया कि सैनिकों के परिवारों के लिए बने आवासों में छिपें और लगातार ग्रेनेड फेंक रहे दो आंतकियों को एनएसजी ने ढेर किया। बाद में भारी धमाके की वजह से वह इमारत धराशायी हो गई।
अभियान का नाम नहीं
सामान्य परंपरा है कि सेना या एनएसजी किसी बड़े अभियान को एक नाम देते हैं। उदाहरण के लिए 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए हमले के दौरान की गई कार्रवाई को ‘ऑप ब्लैक थंडर’ नाम दिया गया था। लेकिन इस पर पठानकोट में चलाए जा रहे अभियान को फिलहाल कोई नाम नहीं दिया गया है।