स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 में मैसूरु अव्वल, वाराणसी-धनबाद निचले पायदान पर

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नई दिल्ली: देश के 73 प्रमुख शहरों के स्वच्छता सर्वेक्षण में मैसूरु स्वच्छ शहरों की श्रेणी में अव्वल आया, जबकि धनबाद निचले पायदान पर रहा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वैंकेया नायडू ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2016’ के परिणाम जारी किए। इसमें 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले 53 शहरों और 22 राज्यों की राजधानियों को शामिल किया गया था। नोएडा और कोलकाता ने भी अगले दौर के सर्वेक्षण में शामिल होने की इच्छा जताई है।

इसके तहत स्‍वच्‍छता व स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में प्रमुख 10 शहरों की श्रेणी में मैसूरु (कर्नाटक), चंडीगढ़, तिरूचनापल्‍ली (तमिलनाडु), नई दिल्‍ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश), गुजरात से सूरत और राजकोट, गंगटोक (सिक्‍किम), महाराष्‍ट्र से पिंपरी छिंदवाड़ और ग्रेटर मुंबई शामिल हैं।

इस साल के सर्वेक्षण में 10 प्रमुख स्‍वच्‍छ शहरों में स्‍थान बनाते हुए विशाखापट्टनम, सूरत, राजकोट और गंगटोक (सिक्‍किम) ने अपनी श्रेणियों में सुधार किया है। निचले पायदान के 10 शहरों में कल्‍याण डोम्‍बिविली (महाराष्‍ट्र 64वां नंबर), जमशेदपुर (झारखंड), वाराणसी, गाजियाबाद (उत्‍तरप्रदेश), रायपुर (छत्‍तीसगढ़), मेरठ (उत्‍तर प्रदेश), पटना (बिहार), र्इंटानगर (अरुणाचल प्रदेश), आसनसोलन (पश्‍चिम बंगाल) और धनबाद 73वां नंबर पर हैं।

स्‍वच्‍छता के लिए पिछला सर्वेक्षण एक लाख और इससे अधिक की जनसंख्‍या वाले 476 शहरों में साल 2014 में किया गया था। इस सर्वेक्षण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले साल अक्‍टूबर में शुरू किए गए ‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान’ से पहले किया गया था। इन शहरों के 2014 के सर्वेक्षण के परिणाम ‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान’ के घटकों जैसे शौचालयों का निर्माण, ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन और व्‍यक्‍तिगत निगरानी व व्‍यापक मानदंडों के संबंध में उनके प्रदर्शन पर आधारित थे। इससे ‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान’ के प्रभाव के आकलन के लिए दोनों सर्वेक्षणों के परिणामों की तुलना करने में मदद मिली।

इस साल के सर्वेक्षण के परिणामों के साथ आगे भी तुलना करने के लिए 2014 में अपनी श्रेणियों में पहुंचे अंकों के आधार पर 73 शहरों के सर्वेक्षण में उनको इस बार भी श्रेणियां दी गईं।

नायडू ने कहा कि जिन 73 शहरों में सर्वेक्षण किया गया, उनमें से 32 शहरों की रैंकिंग में पिछले सर्वेक्षण के मुकाबले सुधार देखने को मिला है। इनमें उत्‍तर भारत के 17, पश्चिमी भारत के 6, दक्षिण भारत के 5 और पूर्वी एवं पूर्वोत्‍तर भारत के 2-2 शहर शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि इससे यह साबित हो जाता है कि उत्‍तर भारत के शहर अब साफ-सफाई के लिए कहीं ज्‍यादा प्रयास कर रहे हैं और शीर्ष स्‍वच्‍छ शहरों में शामिल दक्षिण एवं पश्चिमी भारत के शहरों के वर्चस्‍व को नए शहर चुनौती दे रहे हैं।

इन 32 शहरों में शामिल जिन चोटी के 10 शहरों ने साल 2016 के सर्वेक्षण में अपनी रैंकिंग में ज्‍यादा सुधार किया है, उनमें ये भी सम्मिलित हैं : इलाहाबाद (रैंकिंग में 45 पायदान का सुधार), नागपुर (40 पायदानों का सुधार), विशाखापट्टनम (39 पायदान का सुधार), ग्‍वालियर (34 पायदानों का सुधार), भुवनेश्‍वर (32 पायदान का सुधार), हैदराबाद (31 पायदान का सुधार), गुड़गांव (29 पायदान का सुधार), विजयवाड़ा (23 पायदान का सुधार) और लखनऊ (23 पायदान का सुधार)।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली में नगरपालिका निकायों के बीच एनडीएमसी की रैंकिंग साल 2014 के सातवें पायदान से सुधरकर साल 2016 में चौथे पायदान पर पहुंच गई। इसी तरह दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की रैंकिंग 47वें पायदान से सुधर कर 39वें पायदान पर और उत्‍तरी दिल्‍ली नगर निगम की रैंकिंग 47वें स्‍थान से सुधर कर 43वें स्‍थान पर आ गई है, जबकि पूर्वी दिल्‍ली नगर निगम की रैंकिंग वर्ष 2014 के 47वें पायदान से फिसलकर साल 2016 में 52वें पायदान पर आ गई है।

साल 2016 में जिन शीर्ष 10 शहरों की रैंकिंग काफी नीचे आई है उनमें जमशेदपुर, कोच्चि, शिलांग, चेन्‍नई, गुवाहाटी, आसनसोल, बेंगलुरू, रांची, कल्याण-डोम्बीवली और नासिक शामिल हैं। जहां एक ओर जमशेदपुर की रैंकिंग इस साल 53 पायदान नीचे आ गई है, वहीं नासिक की रैंकिंग 23 पायदान फिसल गई है।

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