कानपुर| बोरवेल में गिरी बच्ची की हैलट अस्पताल में मौत हो गई। दस घंटे की मशक्कत के बाद बच्ची को निकाल तो लिया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका। प्रशानन बोरवेल खुला छोड़ने वाले लापरवाह लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहा है। बताते हैं कि सुबह डेढ़ साल की खुशी अचानक 100 फुट गहरे बोरवेल में गिर गई थी। बच्ची को बचाने के लिए प्रशासन के साथ सेना ने कमान संभाली। सेना के अथक प्रयास के बाद बच्ची को बाहर निकाल लिया गया। बच्ची को उपचार के लिए कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सकों ने कुछ देर बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
मल्टीस्टोरी की स्वायल टेस्टिंग के लिए कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) ने बोरवेल बनाया और बिना भरे छोड़ दिया था। आज दिन भर से कानपुर के नवाबगंज मोहल्ले में चिडिय़ाघर के पास घटी इस घटना के बाद हजारों लोगों की भीड़ मौके पर जुटी हुई थी।
खुशी के सकुशल बाहर आने के लिए दुआएं की जा रही थीं। आक्सीजन के तीन सिलेंडरों से पाइप के जरिए जीवनरक्षक गैस नीचे पहुंचाई गई। नीचे ठंडक बनी रहे, इसके लिए लगातार पानी का छिड़काव किया गया। मामला गंभीर होने के नाते जिला प्रशासन ने तुरंत सेना को सूचना दी।
कैंट से सेना के जवान आधे घंटे में पहुंच गए। सेना ने तीन जेसीबी मशीनों से गड्ढे के करीब एक और गड्ढा खोदने का काम शुरू किया। जीवन रक्षक उपकरणों से लैस छह एम्बुलेंस मौके पर मौजूद रहीं।
कर्नल दुष्यंत के जवानों ने किया कमाल
सुबह खेलते-खेलते बोरवेल में खुशी गिर गई थी| पुलिस ने प्रशासन ने तीन घंटे तक बच्ची को निकालने के लिए जद्दोजहद करते रहे, लेकिन कामयाबी नहीं मिली| तब प्रशासन ने कैंट को फोन कर कर्नल दुष्यंत सिंह को बचाव के लिए बुलाया| 11:30 पर कर्नल दुष्यंत सिंह अपने जवानों के साथ मौके पर पहुंचे पर ऑपरेशन खुशी बचाव शुरु किया| सेना के पचास जवानों की टुकड़ी ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए जुट गई| बोरवेल के बगल में पचास फुट के दो गड्डे खोदे गए| बच्ची की धड़कने परखने के लिए कैमरे नीचे डालकर बच्ची की हरकत के बारे में जानकारी ली| जैसे ही कैमरे में बच्ची के रोने के साथ धड़कने चलने की जानकारी मिली, आर्मी एक सेकेंड के लिए नहीं बैठी |
6 घंटे के बाद खुग दुष्यंत सिंह पचास फुट अंदर गड्डे के अंदर जाकर खुशी को उठाकर ऊपर लाए| ऑपरेशन के खत्म होने के बाद कर्नल और उनके जवानों ने पानी पिया| मीडिया से बातचीत के दैरान कर्नल दुष्यंत सिंह ने बताया कि हमें 11 जिला प्रशासन की तरफ से कॉल आई और घटना के बारे में बताया गया| आर्मी 11:30 पर मौके पर पहुंच गई | ऐसे रेस्क्यू ऑपरेशन में काम आने वाले उपकरण नहीं थे, हमने बरेली आर्मी बेस से साजो-ए-सामान मंगवाया और कुछ इस काम में उस्ताद जवान भी आए और ऑपरेशन सफल हो गया| बताया, बच्ची की सांसे चल रही हैं, हमने तो अपना काम कर दिया, बाकि भगवान और डॉक्टरों के हाथ में है|
NDRF और प्रशासन ने भी किया सहयोग
आर्मी के इस ऑपरेशन को सफल बनाने में जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम का भी अहम योगदान रहा| सुबह से ही एडीएम सिटी, अविनाश सिंह, एसडीएम सदर, सीएमओ एसपी सहित नगर निगम, केडीए के अधिकारी और कर्मचारी लगातार दस घंटे से डटे रहे| एडीएम सिटी ने बताया कि हमें जानकारी सुबह 8 बजे के आसपास मिली| सूचना पर हम मौके पर दलबल के साथ पहुंच गए| पहले नगर निगम के लोग बच्ची को बचाने के लिए डटे रहे, लेकिन देरी होने के चलते हमें सेना बुलानी पड़ी| इसके अलावा एनडीआरएफ की टीम के साथ बरेली से भी सेना के एक्सपर्ट जवानों को बुलाया गया|