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बुन्देलखण्ड हाई एलर्ट: अखिलेश यादव का आकस्मिक दौरा

लखनऊ। राजनीति के बेईमान हथकंडे अपनाकर छुटभइये सपाई और भ्रष्ट अफसर समाजवादी सरकार की साख गवाँ रहे हैं। शायद इसी आहट के चलते सूबे के मुख्यमंत्री कभी भी पंचायत चुनाव के बाद बुन्देलखण्ड के आकस्मिक दौरे में किसी भी जनपद में आ सकते हैं।

शासन ने सभी जिलाधिकारियों को हाई एलर्ट का फरमान जारी कर दिया है कि वह मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं समेत सभी कार्यों में प्राथमिकता के आधार पर शत-प्रतिशत पूरा किया जाये। मुख्यमंत्री के सचिव पार्थ सारथी सेन ने अपने पे्रषित पत्र में कहा है कि पंचायत चुनाव के बाद मुख्यमंत्री, बुन्देलखण्ड के किसी भी जनपद में भ्रमण कर सकते हैं, ऐसे में पूरी सावधानी बरती जाये।
प्रदेश सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं में कन्या विद्या धन, लैपटाॅप सहित खाद्य की आपूर्ति, सड़कों की व्यवस्था, मुख्यालय को जोड़ने वाली फोरलेन सड़को का निर्माण, राममनोहर लोहिया आवास योजना, समस्त ग्रामों में विद्युतीकरण, विद्युत व पेयजल आपूर्ति, अस्पतालों का रखरखाव व सुविधायें, 102 व 108 नं. सेवा, समाजवादी पेंशन आदि की व्यापक समीक्षा के साथ बाँदा मेडिकल काॅलेज व इंजीनियरिंग काॅलेज की भी कमियों को तत्काल दुरूस्त कराया जाये तथा दौरे में लापरवाही न बरती जाये।
सीएम के भ्रमण में बुन्देलखण्ड को 24 घण्टे बिजली देने की कवायद शुरू की गयी है लेकिन कारपोरेशन अपनी सुस्त कार्यशैली के चलते मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना कर रहा है। बुन्देलखण्ड बिजली के हालात के चलते त्राहि-त्राहि कर रहा है। मौजूदा हालात इतने बिगड़ गये हैं कि सपाइयों के हाथ हुकूमत की मूठ पर होने के बावजूद कांप रहे हैं और भ्रष्ट अधिकारियों को चिन्हित भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के संभावित दौरे में हमीरपुर में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का शिलान्यास, हमीरपुर-कालपी फोरलेन सड़क की आधारशिला आदि योजनाएं शामिल हो सकती हैं। संभावना है कि कानून व्यवस्था में गड़बड़ी पाये जाने पर मुख्यमंत्री ग्रामीणों से सीधे गुफ्तगू भी कर सकते हैं।
विकास योजनाओं की समीक्षा के बाद गड़बड़ी पाये जाने पर अधिकारियों की क्लास भी ले सकते हैं। 2017 के चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कुल मिलाकर यह दौरा सरकार की छवि सुधारने में सहायक हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 172000 शिक्षामित्रों के हटाने के आदेश पर रोक लगाई

इलाहाबाद। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के 1,72000 शिक्षामित्रों के हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षाबोर्ड की अपीलों पर आया है। मामले की अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितम्बर को लगभग पौने दो लाख शिक्षामित्रों का समायोजन को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया है। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुज्ञा याचिका दायर की है। वहीं बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से भी एक याचिका दायर की गई है। इसके अलावा 20 से ज्यादा याचिकाएं शिक्षामित्रों के संगठन, शिक्षामित्रों ने दायर की है। इसमें प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, इसके प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला और आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही की याचिकाएं प्रमुख हैं।

संगठन की ओर से पी चिदम्बरम, अमित सिब्बल, पराग त्रिपाठी, रंगीता रोहतगी जैसे वकील किए गए हैं वहीं राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे को खड़ा किया है।

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यूपी की शैक्षिक परिदृश्य का हवाला देते हुए दया के आधार पर शिक्षामित्रों का समायोजन बहाल करने का अनुरोध किया है। वहीं शिक्षामित्रों ने भी अपनी याचिकाओं में यह आधार बनाया है कि शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित शिक्षक मानते हुए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने भी प्रशिक्षण देने की अनुमति दी थी लिहाजा नियमों के मुताबिक इन्हें टीईटी से छूट दी जाए।

खुशखबरीः यूपी के 18 लाख कर्मचारियों-शिक्षकों को छह फीसदी डीए

लखनऊ। प्रदेश सरकार 18 लाख कर्मचारियों और शिक्षकों तथा दस लाख पेंशनरों को डीए का जल्द तोहफा देने जा रही है। वित्त विभाग ने छह फीसदी महंगाई भत्ता देने की फाइल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास मंजूरी के लिए भेज दी है। मंजूरी मिलते ही कर्मचारियों और शिक्षकों को डीए और पेंशनरों को महंगाई राहत देने का आदेश जारी कर दिया जाएगा। अनुमान के अनुसार डीए और महंगाई राहत देने पर सरकार पर करीब दो हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा।
खास बात यह है कि ‘हिन्दुस्तान’ ने इस बारे में पहले ही लिख दिया था कि दिवाली से पहले कर्मचारियों को सरकार बोनस देगी और दिवाली बाद डीए की किस्त दी जाएगी। वित्त विभाग के सूत्रों ने बताया कि जुलाई से देय डीए की छह फीसदी की किस्त का कर्मचारियों और शिक्षकों को दिसंबर के वेतन के साथ जनवरी से भुगतान किया जाएगा। उससे पहले के बाकी महीनों की डीए की किस्त कर्मचारियों और शिक्षकों के जीपीएफ में जमा कराई जाएगी।
केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को पहली जुलाई से ही डीए की इस किस्त का भुगतान कर चुकी है। आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारियों को भी छह फीसदी डीए देने के आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं लेकिन कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनरों को किस्त का भुगतान किया जाना बाकी था। अभी कर्मचारियों और  शिक्षकों को 113 फीसदी डीए मिल रहा है। छह फीसदी की किस्त को मंजूरी मिलने के बाद डीए बढ़कर 119 फीसदी हो जाएगी।
वित्त विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भटनागर ने कर्मचारियों और शिक्षकों को छह फीसदी डीए देने की फाइल भेजने के साथ पेंशनरों को भी छह फीसदी महंगाई राहत देने की फाइल मुख्यमंत्री की मंजूरी के लिए भेजी है।