पटना। पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और शराब लाबी के दबाव में पूर्ण
मद्यनिषेध लागू करने का वादा तोड़ दिया है।
पहली अप्रैल से आंशिक शराबबंदी लागू होगी, जिसमें सिर्फ देसी शराब पर पूर्ण
प्रतिबंध होगा। गांव में विदेशी शराब नहीं बिकेगी, लेकिन शहरों में सरकारी
दुकानों से विदेशी शराब बिकती रहेगी। पूर्ण मद्यनिषेध को तो अनिश्चित काल
के लिए टाल दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि शराबबंदी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री
ने उन बड़ी-बड़ी शराब कंपनियों के हितों का ज्यादा ध्यान रखा, जिनसे सत्तारूढ़
दल को चुनाव में मदद मिली। सरकार ने जब विदेशी शराब की 90 फीसद दुकानें
बंद कराने का फैसला किया, तो 10 फीसद दुकानों को छूट क्यों दे दी.? अगर
पूर्ण शराबबंदी की जानी है, तो सरकार राज्य भर में विदेशी शराब की खुदरा
दुकानें क्यों खोलने जा रही है.? क्या सरकार का काम व्यापार करना और दुकान
चलाना है.?
नई उत्पाद नीति की समीक्षा के लिए छह माह की अवधि क्यों तय की गई.? अगर
मंशा गरीबों को शराबखोरी से बचाने की है, तो क्या सरकार को शहर में रहने
वाले दो तिहाई गरीबों की कोई फिक्र नहीं है ? क्या विदेशी शराब को शहर से
गांव पहुंचने से रोका जा सकता है? अधूरी शराबबंदी से क्या भ्रष्टाचार नहीं
बढ़ेगा ? मुख्यमंत्री को इन सवालों का विश्वसनीय उत्तर देना चाहिए। वे पहड़ों
से पत्थर तोड़ने पर रोक लगाने के बाद उस फैसले को पलट चुके हैं। पान मसाला
और गुटखा पर लगा प्रतिबंध प्रभावी नहीं है। पूर्ण शराबबंदी के मामले में भी
ऐसे संकेत मिल रहे हैं।