नई दिल्ली। देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी के गांव में निवास करने के बावजूद छोटी छोटी बीमारियों के उपचार के लिए लोगों को कर्ई कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, गांव देहात में स्वास्थ्य केंद्रों एवं डाक्टरों की भारी कमी है…ऐसे में विभिन्न वर्गो ने आगामी बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के लिए पर्याप्त धन देने और डाक्टरों की तैनाती सुनिश्चित करने की मांंग की है।
जाने माने चिंतक के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि देश की आजादी के 67 वर्ष गुजरने के बाद भी गांव देहात में स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं का विकास नहीं हो पाया है। आज भी लोगों को छोटी छोटी बीमारियों के उपचार के लिए कई कई किलोमीटर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में देश की ग्राम पंचायतों को केंद्रीय बजट की 7 प्रतिशत राशि सीधे उपलब्ध कराई जाए ताकि ग्रामीण स्तर पर ठोस बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास किया जा सके। राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि देश तभी विकास कर सकेगा जब लोग स्वस्थ होंगे। लेकिन देश में डाक्टरों की भारी कमी है, गांव में तो डाक्टर आना ही नहीं चाहते हैं। इसलिए गांव देहात में स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास करना और डाक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार को बजट में इसका खास ध्यान रखना चाहिए और स्वास्थ्य मद में आवंटन बढ़ाना चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राजील में जहां अस्पतालों में प्रति हजार बेड की उपलब्धता 2.3 है, वहीं भारत में 0.7 है। श्रीलंका में यह 3.6 और चीन में 3.8 है। डाक्टरों की उपलब्धता का वैश्विक औसत 1.36 है जबकि भारत में यह 0.39 है। भारत में करीब 70 प्रतिशत लोग गांव में रहते हैं लेकिन 75 प्रतिशत डाक्टर शहरों में हैं। भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारे सार्वजनिक और निजी व्यय का अनुपात।:4 है जो दक्षिण एशिया के कई देशों से खराब स्थिति में है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों में एम्स स्थापित किए हैं लेकिन इसके बावजूद सुविधाओं की कमी की वजह से मरीजों के वहां उपचार कराने की बजाए दिल्ली स्थित एम्स में उपचार कराने आने का सिलसिला जारी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण शायद हमारे राजनीतिक एवं प्रशासन के स्तर पर यह एहसास है कि स्वास्थ्य सेवा सामान्यत: मतदाताओं के लिए कोई प्राथमिकता नहीं है।