लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानमण्डल के बजट सत्र की शुरूआत आज विपक्षी दलो की नारेबाजी और हंगामे के साथ शुरु हुई और दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राज्यपाल राम नाईक अपना अभिभाषण पूरा नहीं कर सके।
राज्यपाल नाईक की अपील के बावजूद वे विधानमंडल के संयुक्त सदन को संबोधित करने के लिए जैसे ही खडे हुए, बसपा सदस्य ‘राज्यपाल वापस जाओ के नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए। बसपा, कांग्रेस और रालोद के सदस्य हाथों में सरकार विरोधी नारे लिखे बैनर लहराते देखे गए। कांग्रेस के सदस्य सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तस्वीर छपी टोपी लगाए थे। राज्यपाल वापस जाओ के नारे लगा रहे बसपा , कांग्रेस और रालोद के सदस्यों ने अपने हाथों में बैनर ले रखे थे , जिनपर बिजली पानी दुरूस्त करो, वरना कुर्सी खाली करो , कानून व्यवस्था ध्वस्त है, सपा सरकार मस्त है किसान विरोधी यह सरकार बर्खास्त हो जैसे नारे लिखे हुए थे। सत्र की इस हंगामाखेज शुरुआत के दौरान सत्तारूढ़ सपा के साथ-साथ भाजपा के सदस्य भी अपने-अपने स्थान पर बैठे रहे। राज्यपाल ने नाईक ने ऐसे मौकों पर पूर्व के राज्यपालों के विपरीत लगभग 20 मिनट तक अपना अभिभाषण जारी रखा और बीच में पानी भी पिया। वे बहरहाल सरकार की उपलब्धियों और कामकाज का ब्यौरा समेटे 110 पृष्ठ का अभिभाषण पूरा नहीं कर सके और अंतिम पैराग्राफ पढ कर सदन से विदा ली। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कहा, मेरी सरकार प्रदेश की जनता को प्रगति और खुशहाली की ओर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में तत्परता से काम किया है .. साम्प्रदायिक ताकतों की कोशिशों की बावजूद पूरे प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखी है। उन्होंने किसान हित के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए कहा, मौसम के प्रहार से पिछले वर्ष किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए हर संभव कोशिश की गई है। हमने भारत सरकार से जितनी सहायता मांगी थी हमें महीनों बाद उससे आधी धनराशि भी नहीं मिली , मगर हमने उसका इंतजार किए बिना राज्य आकस्मिकता निधि की सीमा बढा कर अपने खजाने से किसानों को राहत पहुचाई। हालांकि प्रदेश सरकार ने लगातार तीसरे साल भी गन्ना समर्थन मूल्य में कोई बढोत्तरी नहीं की है। अभिभाषण में गन्ना किसानों के हित का दावा किया गया है।