श्रीनगर। कश्मीर के करगिल में शुक्रवार को 145 दिन बाद मोबाइल इंटरनेट सेवा चालू कर दी गई। अधिकारियों के मुताबिक, करगिल में पिछले 4 महीनों में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। स्थिति सामान्य होने के कारण बैन हटा लिया गया है। यहां ब्रॉडबैंड सेवा पहले ही शुरू कर दी गई थी। अधिकारियों ने स्थानीय नेताओं से अनुरोध किया है कि वे इंटरनेट का दुरुपयोग नहीं करें। अक्टूबर में सरकार ने कश्मीर में बीएसएनएल की पोस्टपेड सेवाएं बहाल कर दी थी। हालांकि, घाटी के कुछ हिस्सों में अभी भी प्रतिबंध जारी है।
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी होने के बाद इंटरेनट सेवाएं प्रतिबंधित कर दी गई थी। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। इसके बाद से ही नागरिक इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की मांग कर रहे थे। चरणबद्ध तरीके से कई स्थान पर बैन हटाए भी गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट बैन पर केंद्र को नोटिस जारी किया था
सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को जम्मू कश्मीर में इंटरनेट और लैंडलाइन पर लगी पाबंदी के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने सरकार से तत्काल प्रभाव से जम्मू कश्मीर के सभी मेडिकल कालेज और हॉस्पिटल में इंटरनेट सेवा और लैंडलाइन सेवा चालू करने के निर्देश दिए थे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता डॉ। समीर कौल ने राज्य में इंटरनेट और फोन सेवा बंद होने के चलते स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभाावित होने का मुद्दा कोर्ट के समक्ष उठाया था, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश जारी किया था।
इंटरनेट बैन के मामले में भारत नंबर 1
इंटरनेट बैन के मामले में भारत दुनिया में पहले स्थान पर पहुंच गया है। इस साल अब तक 95 बार देश के अलग-अलग हिस्सों में इंटरनेट बंद किया गया है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस समेत दो थिंक टैंक की संयुक्त रिपोर्ट बताती है कि इंटरनेट बंद हाेने से बड़ी आर्थिक क्षति हुई है। 2012 से अब तक सरकार ने देश में 367 बार इंटरनेट बंद किया। 2018 में दुनिया में होने वाले कुल इंटरनेट शटडाउन में से 67 फीसदी भारत में हुए। राज्यों के हिसाब से देखा जाए तो 2012 से 2019 में सबसे ज्यादा कश्मीर में इंटरनेट बंद रहा है। इस दौरान कुल 367 शटडाउन में से 180 सिर्फ कश्मीर में लागू हुए हैं।