नई दिल्ली। आईएसआईएस की ओर से भारतीय नौजवानों के बढ़ते रूझान पर अंकुश लगाने के प्रयास के तहत सरकार ने आज देश के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं से इस आतंकी समूह के मंसूबों को नाकाम करने, हिंसा एवं सीमापार आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग मांगा।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तथा गृह मंत्रालय के दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों ने मुस्लिम धर्मगुरूओं को आईएसआईएस की गतिविधियों और भारतीय नौजवानों को अपने ज़द में लेने के उसके प्रयासों के बारे में अवगत कराया। आधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्री ने इस मामले पर मुस्लिम धर्मगुरूओं से मदद मांगी और मुस्लिम धर्मगुरूओं ने भी इस संदर्भ में सरकार की पूरी मदद का भरोसा दिया। मुस्लिम धर्मगुरूओं और गृह मंत्री की मुलाकात के दौरान सोशल मीडिया के दुरूपयोग, नौजवानों को आकर्षित करने वाले प्रोत्साहनों के स्रोत, भारत के पड़ोस में आईएसआईएस का प्रभाव बढऩे और कानून-व्यवस्था के स्तर से इस चुनौती का माकूल जवाब देने सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई। सभी तरह की हिंसा की निंदा करते हुए मुस्लिम धर्मगुरूओं ने कहा कि इस्लाम शांति और सबकी भलाई का संदेश देता है तथा किसी को भी इस तथ्य को लेकर गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। मुस्लिम नेताओं ने कहा कि वे सीमापार आतंकवाद सहित हर तरह की हिंसा के खिलाफ हैं। भारत में मुसलमानों के सुरक्षित और पूरी छूट होने के तथ्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की स्वतंत्रता और सुरक्षा मुस्लिम बहुल देशों में भी नहीं है। बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव नियाज फारूकी, अजमेर शरीफ के मौलाना अब्दुल वहीद हुसैन चिश्ती, मौलाना वामिक रफीक वारशिक, एम एम अंसारी, एमजे खान, शिया धर्मगुरू मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद, कमाल फारूकी, मौलाना उमेर अहमद इलियासी, पीस फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुफ्ती एजाज़ अरशद कासमी और अन्य मौजूद थे। राजनाथ सिंह के साथ मुस्लिम धर्मगुरूओं की मुलाकात के दौरान अल्पसंख्यकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं, सोशल मीडिया को लेकर रणनीति की जरूरत पर जोर दिया गया।