खाद्य उत्पादन को कीटनाशकों के बढ़ते खतरे से नुकसान:प्रो.मुखोपाध्याय

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लखनऊ ( छविनाथ यादव)। काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के 77 वां स्थापना दिवस के अवसर पर आज केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) में मुख्य अतिथि असम के कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अमरनाथ मुखोपाध्याय ने कहा कि कीटनाशकों के बढ़ते खतरे से खाद्य उत्पादन में काफी नुकसान हो रहा है। पादप रोग प्रबंधन की समस्याओं को दूर करने में कम लागत वाली तकनीक के रूप में ट्राइ कोडर्मा एक अच्छा विकल्प है। उन्होंने कहा कि ट्राइ कोडर्मा निवारक, उपचारात्मक और उन्मूलन गतिविधि के साथ एक व्यापक स्पेक्ट्रम जैव-कीटनाशक है। उन्होंने ट्राइकोडर्मा को मानव जाति के लिए भगवान का एक उपहार माना है। वे दो उच्च-उपज वाली किस्मों का भी विमोचन इस अवसर पर कर रहें हैं, जिसमें डॉ. वीआर सिंह के नेतृत्व में विकसित पचौली की सिम-उत्कृष्ट तथा डॉ. एके शुक्ला के नेतृत्व में विकसित कैथरैंटस की सिम-सुशील किस्में हैं। कोलकाता में सीकेसी अरोमास एलएलपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि ऋषभ सी कोठारी ने कहा कि सीमैप द्वारा देश में एसएंडटी विकास के लिए अच्छी और बेहतर पहल की जा रही है। देश में उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने का वक्त है। दोनों के प्रति रिश्ते मजबूत होने की बात है। अगर सीएसआईआर-सीमैप चाहे तो वे उनके साथ मिलकर काम करने को तैयार है। इस दौरान सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. अब्दुल समद ने मुख्य अतिथि और गेस्ट ऑफ ऑनर का पुष्प गुच्छक से स्वागत किया और इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के समस्त परिवार को बधाई दी। अपने स्वागत भाषण में संस्थान के योगदान के बारे में अवगत कराया।

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