नई दिल्ली। राज्यपालों की भूमिका पर पैदा हुए विवाद के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे सभी लोग संविधान की पवित्रता बरकरार रखें।
राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रणब ने कहा, ”हमारा देश आजादी के बाद मजबूत से मजबूत होता गया है। हमारे संविधान में शामिल सिद्धांतों के दृढ़तापूर्वक पालन की वजह से यह संभव हो सका है। यह एक चिरस्थाई दस्तावेज है जो हमारी आकांक्षाओं और उन्हें समावेशी तरीके से प्राप्त करने को लेकर हमारी विस्तृत रूपरेखा को प्रदर्शित करता है।ÓÓ प्रणब ने कहा, ”संवैधानिक पदों पर बैठे हम सभी लोगों का कर्तव्य है कि हम इस पवित्र ग्रंथ की पवित्रता बरकरार रखें।ÓÓ अरूणाचल प्रदेश में राज्यपाल जे पी राजखोवा की भूमिका के मुद्दे पर पैदा हुए विवाद की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति की अपील काफी अहमियत रखती है। गौरतलब है कि राजखोवा की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने अरूणाचल में राष्ट्रपति शासन लगाया है। इस विवादित मामले पर इन दिनों उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। साल 2015 को एक मुश्किल साल करार देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ”हमें विश्व अर्थव्यवस्था के धीमी पडऩे, जलवायु परिवर्तन, बाहरी और आंतरिक सुरक्षा जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले राज्य आतंकवादी हमलों से प्रभावित रहे, जिनकी कड़ी स्पष्ट रूप से बाहर से जुड़ी रही।ÓÓÓÓ राष्ट्रपति ने कहा, ”चुनौतियों से भरे आंतरिक सुरक्षा के माहौल ने हम सभी को अपनी रक्षा क्षमताएं उन्नत करने के लिए प्रेरित किया है। इसके साथ ही हमें सभी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को शांतिपूर्ण बातचीत और विचार-विमर्श से सुलझाने के प्रति अपने प्रयासों को जारी रखना होगा।ÓÓ इस सम्मेलन में 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों और उप-राज्यपालों ने शिरकत की। प्रणब ने यह भी कहा कि भारत लगातार दो सालों से कम बारिश होने के कारण सूखे के बुरे प्रभावों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, ”यदि एक बार और बारिश कम हुई तो इससे कृषि उत्पादन पर और असर पडऩे की आशंका है। किसानों की समस्याओं का समाधान हमें युद्ध स्तर पर करना होगा। हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के द्वारा किसानों को प्रौद्योगिकी की मदद से प्रभावी रूप से सहायता प्रदान की जा सकेगी। किसानों को मदद देने के इस प्रयास और अन्य प्रयासों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए।ÓÓ राष्ट्रपति ने कहा, ”मौसम के प्रभाव से बचने की खातिर हमें अपने कृषि अनुंसधान संस्थानों को सूखे की मार से बचने वाले खाद्यान्न एवं अन्य खाद्य सामग्री विकसित करने का काम करना होगा।
राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रणब ने कहा, ”हमारा देश आजादी के बाद मजबूत से मजबूत होता गया है। हमारे संविधान में शामिल सिद्धांतों के दृढ़तापूर्वक पालन की वजह से यह संभव हो सका है। यह एक चिरस्थाई दस्तावेज है जो हमारी आकांक्षाओं और उन्हें समावेशी तरीके से प्राप्त करने को लेकर हमारी विस्तृत रूपरेखा को प्रदर्शित करता है।ÓÓ प्रणब ने कहा, ”संवैधानिक पदों पर बैठे हम सभी लोगों का कर्तव्य है कि हम इस पवित्र ग्रंथ की पवित्रता बरकरार रखें।ÓÓ अरूणाचल प्रदेश में राज्यपाल जे पी राजखोवा की भूमिका के मुद्दे पर पैदा हुए विवाद की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति की अपील काफी अहमियत रखती है। गौरतलब है कि राजखोवा की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने अरूणाचल में राष्ट्रपति शासन लगाया है। इस विवादित मामले पर इन दिनों उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। साल 2015 को एक मुश्किल साल करार देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ”हमें विश्व अर्थव्यवस्था के धीमी पडऩे, जलवायु परिवर्तन, बाहरी और आंतरिक सुरक्षा जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले राज्य आतंकवादी हमलों से प्रभावित रहे, जिनकी कड़ी स्पष्ट रूप से बाहर से जुड़ी रही।ÓÓÓÓ राष्ट्रपति ने कहा, ”चुनौतियों से भरे आंतरिक सुरक्षा के माहौल ने हम सभी को अपनी रक्षा क्षमताएं उन्नत करने के लिए प्रेरित किया है। इसके साथ ही हमें सभी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को शांतिपूर्ण बातचीत और विचार-विमर्श से सुलझाने के प्रति अपने प्रयासों को जारी रखना होगा।ÓÓ इस सम्मेलन में 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों और उप-राज्यपालों ने शिरकत की। प्रणब ने यह भी कहा कि भारत लगातार दो सालों से कम बारिश होने के कारण सूखे के बुरे प्रभावों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, ”यदि एक बार और बारिश कम हुई तो इससे कृषि उत्पादन पर और असर पडऩे की आशंका है। किसानों की समस्याओं का समाधान हमें युद्ध स्तर पर करना होगा। हाल ही में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के द्वारा किसानों को प्रौद्योगिकी की मदद से प्रभावी रूप से सहायता प्रदान की जा सकेगी। किसानों को मदद देने के इस प्रयास और अन्य प्रयासों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए।ÓÓ राष्ट्रपति ने कहा, ”मौसम के प्रभाव से बचने की खातिर हमें अपने कृषि अनुंसधान संस्थानों को सूखे की मार से बचने वाले खाद्यान्न एवं अन्य खाद्य सामग्री विकसित करने का काम करना होगा।