यूपी : हाई कोर्ट ने 17 जातियों को दलितों में शामिल करने पर लगाई रोक

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यूपी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 अति पिछड़ी जातियों को दलितों में शामिल करने के सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है साथ ही सरकार से 3 हफ्ते में इस मुद्दे पर जवाब भी मांगा है। योगी सरकार के इस फैसले के बाद अति पिछड़ी जातियों में खुशी का माहौल था लेकिन जैसे ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार के इस आदेश को खारिज किया उसके बाद इस पर सियासत शुरू हो गई है।
कभी योगी मंत्रिमंडल में शामिल रहे ओमप्रकाश राजभर ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले तो सरकार ने दिखाने के लिए आरक्षण का आदेश निकाला और अब अपना ही आदमी खड़ा कर हाईकोर्ट में इसे निरस्त करा दिया। ओमप्रकाश राजभर ने चुनौती देते हुए कहा है कि जिस तरीके से सामान्य वर्ग के आरक्षण को एक झटके में लागू किया गया उसी तरीके से राज्य सरकार इन जातियों को 72 घंटे में दलित कैटेगरी में शामिल कराए नहीं तो माना जाएगा कि यह जुमलेबाज सरकार की एक चाल है।

दूसरी ओर चुनाव के पहले एनडीए के साथ आई निषाद पार्टी को भी अदालत के इस फैसले से झटका लगा है। मल्लाह, बिंद, राजभर, केवट, कश्यप जैसी जातियां बहुत पहले से दलित कैटेगरी की मांग कर रही थीं। निषाद पार्टी इस आंदोलन की अगुआ थी। निषाद पार्टी इस समय एनडीए के साथ है और अब इस मुद्दे पर जल्द सरकार से कदम उठाने की मांग कर रही है।

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा कि ये इस मामले पर कोर्ट को गुमराह किया गया है। उन्होंने कहा कि 17 पिछड़ी जातियां 1961 से राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन के हिसाब से अनुसूचित जाति में हैं, मंझवार की पर्यायवाची केवट/मल्लाह है। शिल्पकार की पर्यायवाची कुम्हार/प्रजापति है। संजय निषाद ने कहा कि कुछ लोग कोर्ट और सरकार को गुमराह कर रहे हैं।

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