नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में पेनगॉन्ग लेक के उत्तरी हिस्से में पेट्रोलिंग के दौरान भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई। दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव को कम करने के लिए ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई जिसके बाद चीनी सैनिक पीछे हटने पर राजी हो गए और तनाव खत्म हो गया।
पेनगॉन्ग लेक का काफी हिस्सा विवादित
सूत्रों के अनुसार, जब भारतीय सैनिक पेनगॉन्ग लेक की पेट्रोलिंग कर रहे थे, उस वक्त चीनी सैनिकों ने विरोध जताया। जिसके बाद दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई। चीन लगातार नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता रहा है। उसके सैनिकों ने पिछले साल जुलाई में लद्दाख के उत्तरी हिस्से में घुसपैठ कर तंबू लगा दिए थे। भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा है कि हमारे जवान भारतीय सीमा में थे।
इसलिए चीन की आपत्ति के बाद भी वहां डटे रहे। पेनगॉन्ग लेक का काफी हिस्सा विवादित है। इसका दो तिहाई हिस्सा चीन के कब्जे वाले तिब्बत में है। बाकी भारतीय सीमा में है। इस झील की सीमा की लंबाई करीब 134 किलोमीटर है। चीन को झील के उत्तरी हिस्से में भारतीय जवानों की मौजूदगी पर आपत्ति थी। दोनों सेनाओं के बीच हुई फ्लैग मीटिंग में चीनी पीछे हटने को तैयार हो गया।
2016 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया था
उल्लेखनीय है कि जून 2016 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया था। चीनी सैनिकों ने डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी, जिस पर भारतीय जवानों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था। यह विवाद 73 दिनों तक चला था। इसके बाद चीन ने यहां सड़क निर्माण का काम रोक दिया था। अगस्त 2017 में चीन ने लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की थी, किंतु जिसे भारतीय सैनिकों ने इसे नाकाम कर दिया। घुसपैठ की कोशिश लद्दाख में पेनगॉन्ग लेक के पास हुई। भारत की कार्रवाई के बाद चीनी सैनिकों ने पथराव किया। इसके चलते जवानों को चोटें आईं। चीन के भी कुछ सैनिक घायल हुए थे। जुलाई 2018 में भी लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में भारत-चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। तब चीन ने उत्तरी लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ करते हुए तंबू लगा दिए थे।