उन्नीस फरवरी से शुरू हो रही अपनी आठ दिवसीय भारत यात्रा से पहले ओली ने कहा, ”हमारे अपने पड़ोसी :भारत: के साथ संबंधों में कुछ गलतफहमियां हैं और हमें उन गलतफहमियों को दूर करना है और संबंधों को पटरी पर लाना है। उसके लिए मैं शीघ्र भारत जा रहा हूं। ÓÓ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यौते पर ओली की बहु-प्रत्याशित यात्रा तब हो रही है जब कुछ दिन पहले :भारतीय मूल के: मधेसियों ने अपना जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन और नाकेबंदी खत्म कर ली। इन प्रदर्शनों और नाकेबंदी के चलते द्विपक्षीय संबंध में खटास गया था। ओली ने ‘नेपाल में लोकतांत्रिक परिवर्तनÓ विषय पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ एशियन पोलिटिकल पार्टीज :आईसीएपीपी: की विशेष कार्यशाला में अपने संबोधन में कहा, ”भारत की मेरी यात्रा का लक्ष्य निकट अतीत की असहज स्थिति को सामान्य बनाना तथा वर्षों पुराने रिश्ते को प्रोत्साहित करना भी है।ÓÓ उन्होंने कहा, ”वर्ष 2015 हमारे इतिहास में एक मील का पत्थर रहा है क्योंकि हम देश की दक्षिण सीमा मेंं पांच महीने की नाकेबंदी के कारण लोगों के सामने खड़ी हुई मुश्किलों के बावजूद नए संविधान की उद्घोषणा कर पाए। ÓÓ उन्होंने कहा, ”20 सितंबर, 2015 को उद्घोषित नया संविधान समावेशी और लोकतांत्रिक है क्योंकि उसमें मानवाधिकार, स्वतंत्र न्यायपालिका, सामाजिक न्याय और समानता की गारंटी समेत लोकतंात्रिक संविधान की सारी विशेषताएं हैं। ÓÓ ओली ने कहा कि संविधान पर संविधान सभा के 85 सदस्यों ने मुहर लगाई है। उधर, मधेसियों का कहना है कि नया संविधान देश को सात प्रांतों में विभाजित कर उन्हें हाशिए पर धकेल देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कुछ संगठनों की कुछ विशेष मांगों और शिकायतों के मामले में सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत, एकता और सहमति की नीति पर चल रही है। उन्होंने कहा, ”अब सरकार लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं के अनुरूप देश में तीव्र सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव पर ध्यान लगाएगी।ÓÓ उन्होंने कहा कि नेपाली जनता अब भी रोजमर्रा की जिंदगी में मुश्किलों के दौर से गुजर रही है और दक्षिणी सीमा पर आपूर्ति में हाल के व्यवधान के बाद के प्रभावों को झेलने में कुछ वक्त लग सकता है।
भारत यात्रा का लक्ष्य संबंधों को सामान्य बनाना है : ओली
उन्नीस फरवरी से शुरू हो रही अपनी आठ दिवसीय भारत यात्रा से पहले ओली ने कहा, ”हमारे अपने पड़ोसी :भारत: के साथ संबंधों में कुछ गलतफहमियां हैं और हमें उन गलतफहमियों को दूर करना है और संबंधों को पटरी पर लाना है। उसके लिए मैं शीघ्र भारत जा रहा हूं। ÓÓ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यौते पर ओली की बहु-प्रत्याशित यात्रा तब हो रही है जब कुछ दिन पहले :भारतीय मूल के: मधेसियों ने अपना जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन और नाकेबंदी खत्म कर ली। इन प्रदर्शनों और नाकेबंदी के चलते द्विपक्षीय संबंध में खटास गया था। ओली ने ‘नेपाल में लोकतांत्रिक परिवर्तनÓ विषय पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ एशियन पोलिटिकल पार्टीज :आईसीएपीपी: की विशेष कार्यशाला में अपने संबोधन में कहा, ”भारत की मेरी यात्रा का लक्ष्य निकट अतीत की असहज स्थिति को सामान्य बनाना तथा वर्षों पुराने रिश्ते को प्रोत्साहित करना भी है।ÓÓ उन्होंने कहा, ”वर्ष 2015 हमारे इतिहास में एक मील का पत्थर रहा है क्योंकि हम देश की दक्षिण सीमा मेंं पांच महीने की नाकेबंदी के कारण लोगों के सामने खड़ी हुई मुश्किलों के बावजूद नए संविधान की उद्घोषणा कर पाए। ÓÓ उन्होंने कहा, ”20 सितंबर, 2015 को उद्घोषित नया संविधान समावेशी और लोकतांत्रिक है क्योंकि उसमें मानवाधिकार, स्वतंत्र न्यायपालिका, सामाजिक न्याय और समानता की गारंटी समेत लोकतंात्रिक संविधान की सारी विशेषताएं हैं। ÓÓ ओली ने कहा कि संविधान पर संविधान सभा के 85 सदस्यों ने मुहर लगाई है। उधर, मधेसियों का कहना है कि नया संविधान देश को सात प्रांतों में विभाजित कर उन्हें हाशिए पर धकेल देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कुछ संगठनों की कुछ विशेष मांगों और शिकायतों के मामले में सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत, एकता और सहमति की नीति पर चल रही है। उन्होंने कहा, ”अब सरकार लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं के अनुरूप देश में तीव्र सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव पर ध्यान लगाएगी।ÓÓ उन्होंने कहा कि नेपाली जनता अब भी रोजमर्रा की जिंदगी में मुश्किलों के दौर से गुजर रही है और दक्षिणी सीमा पर आपूर्ति में हाल के व्यवधान के बाद के प्रभावों को झेलने में कुछ वक्त लग सकता है।