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राज्य सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस कर किया कार्य : मुख्यमंत्री

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लखनऊ (छविनाथ)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरूवार को शिक्षक दिवस पर आयोजित ‘अध्यापक पुरस्कार समारोहÓ में प्रदेश के उच्च एवं माध्यमिक शिक्षा के 31 शिक्षकों को सम्मानित किया। उच्च शिक्षा विभाग के 02 शिक्षकों को ‘सरस्वती सम्मानÓ, 06 शिक्षकों को ‘शिक्षक श्री सम्मानÓ तथा माध्यमिक शिक्षा विभाग के 08 शिक्षकों को ‘राज्य अध्यापक पुरस्कार-2018Ó तथा अशासकीय माध्यमिक विद्यालय (वित्तविहीन) के 15 अध्यापकों को ‘मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार-2018Ó से पुरस्कृत किया गया।
‘सरस्वती सम्मानÓ से सम्मानित प्रत्येक शिक्षक को 03 लाख रुपए की धनराशि, माता सरस्वती की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र, पगड़ी एवं अंग वस्त्र प्रदान किया गया। ‘शिक्षक श्री सम्मानÓ के लिए प्रत्येक शिक्षक को डेढ़ लाख रुपए की धनराशि, माता सरस्वती की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र, पगड़ी एवं अंग वस्त्र प्रदान किया गया। इसके अलावा ‘राज्य अध्यापक पुरस्कार-2018Ó तथा ‘मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार-2018Ó से सम्मानित प्रत्येक शिक्षक को 25 हजार रुपए की धनराशि, माता सरस्वती की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र, पगड़ी एवं अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने देश के पूर्व राष्ट्रपति, महान शिक्षाविद एवं दार्शनिक डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाए जाने को एक स्वस्थ परम्परा बताते हुए सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा में अच्छा कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाना सराहनीय है। व्यक्ति के अन्दर संवेदना का होना अति आवश्यक है। संवेदना के बगैर अच्छे कार्य की आशा नहीं की जा सकती है। उन्होंने एक स्कूल का जिक्र करते हए कहा कि एक विद्यालय में लगभग 300 विद्यार्थी पढ़ते थे और वहां पर शौचालय नहीं था। विद्यालय के अध्यापक ने अपने वेतन से शौचालय बनवाया, जिससे वहां के विद्यार्थियों में रुचि लेकर पढ़ाई शुरू की। ये संवेदनाएं हमें बताती हैं कि शिक्षा के साथ-साथ हमें व्यावहारिक ज्ञान का होना आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा कि एक शिक्षक समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उन्होंने अपना एक संस्मरण साझा करते हुए कहा कि एक विद्यालय में बहुत गन्दगी थी फिर उस विद्यालय के अध्यापक ने स्वयं सफाई शुरू करने का काम किया। उसे देखकर स्कूल के सभी विद्यार्थियों ने सफाई में सहयोग देना प्रारम्भ कर दिया, जिससे विद्यालय का कायाकल्प हो गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सबका जीवन प्रतिदिन कुछ न कुछ सीखने के लिए होता है। हर घटना परिघटना हमें कुछ सिखाती है। आवश्यकता है हम उन चीजों को किस रूप में लेते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में सदैव अच्छे कार्य करते रहना चाहिए। राज्य सरकार ने सभी बोर्डों के मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित करने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस करके कार्य किया है। उच्च शिक्षा में सत्रों को नियमित करने का कार्य किया गया है तथा अवस्थापना सुविधाओं के विकास को महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट की नकलविहीन परीक्षा एक चुनौती थी। लेकिन तकनीक के माध्यम से राज्य सरकार नकलविहीन परीक्षा कराने में सफल रही। माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा मात्र एक महीने में परीक्षा सम्पन्न कराकर इसका परिणाम घोषित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने शिक्षा में व्यापक बदलाव किये हैं। एनसीईआरटी की तर्ज पर पाठ्यक्रम को अपनाया गया, जिससे अखिल भारतीय सेवाओं में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के विद्यार्थी सफल हो सकें। उन्होंने वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों का जिक्र करते हुए कहा कि इन विद्यालयों का भी समाज में विशेष योगदान है। इसलिए वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों व अध्यापकों की भी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 प्रवृत्त किया गया है। प्रदेश में 48 नये राजकीय महाविद्यालयों तथा सहारनपुर एवं आजमगढ़ में 02 नये राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा को किस प्रकार से सरल और सहज ढंग से प्रदान करते हुए विद्यार्थियों को सिखाया जा सकता है, इसका प्रयास शिक्षकों को सदैव करना चाहिए। विद्यार्थियों को सैद्धान्तिक ज्ञान के अलावा व्यावहारिक जानकारी भी दी जानी चाहिए। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षकों द्वारा स्कूल-कॉलेज में विद्यार्थियों को इसके सम्बन्ध में जानकारी दी जानी चाहिए। महिला सशक्तिकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि आदिकाल से भारतीय इतिहास में देवी का विशेष महत्व रहा है। भारतीय लोकतंत्र के प्रथम आम चुनाव वर्ष 1952 में सम्पन्न हुए थे। तभी भारत की महिलाओं को मत देने का अधिकार प्राप्त था, जबकि इंग्लैण्ड की महिलाओं को उसके बाद मिला। उन्होंने कहा कि तीन तलाक को समाप्त करने से महिला सशक्तिकरण में और वृद्धि हुई है। यह भी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर विद्यालयों में सकारात्मक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए, जो प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारतÓ के संकल्प को पूरा करने में सहायक होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता को अपनाना व स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। इस दिशा में शिक्षक सकारात्मक प्रयास कर सकते हैं। स्वच्छता को अपना कर ही अपनाकर इनसेफेलाइटिस जैसी गम्भीर बीमारियों से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि एक बच्चे को अच्छा नागरिक बनाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक समाज की दशा और दिशा निर्धारित करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करता है। गुरु प्रारम्भिक काल से ही पूज्य हैं। यह लोगों को सद्गुणों की ओर ले जाते हैं। शिक्षक नये भारत के सृजन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। शिक्षक संकल्प कर लें, तो शिक्षा व्यवस्था को उत्कृष्ट बनाया जा सकता है। राज्य सरकार इस कार्य में हर सम्भव सहयोग के लिए तत्पर है। राज्य सरकार द्वारा तमाम वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू किया गया है।
माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से तथा मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से योग्य विद्यार्थियों को आगे आने का अवसर मिल रहा है।
इस अवसर पर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश द्विवेदी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं अध्यापकगण मौजूद थे।

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