नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह पूर्व BJP सांसद चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली छात्रा की शिकायत की जांच करने के लिए एसआईटी का गठन करे। इसके साथ ही पूरे मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट को स्थानांतरित करते हुए कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट एसआईटी की जांच की मानिटरिंग करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया कि वह इस मामले की जांच की मानिटरिंग के लिए एक बेंच का गठन करें। छात्रा जिस कॉलेज में पढ़ती है, वहां के लोगों से आरोपों की जांच की सच्चाई का पता लगाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसके आदेशों का मतलब आरोपों की सच्चाई पर कोई राय बनाना नहीं है। एसआईटी दोनों एफआईआर को देखने के बाद कानून के मुताबिक आगे का काम करेगी।
ये भी आदेश दिया
उल्लेखनीय है कि पहला एफआईआर लड़की ने कराया था और दूसरा लड़की के खिलाफ किया गया है। फिलहाल, जस्टिस आर भानुमति की अध्यक्षता वाली बेंच ने उत्तर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिया है कि वह लड़की को सुरक्षा मुहैया कराए। लड़की के परिवार वालों को भी सुरक्षा दी जाए। उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लड़की की एलएलएम की पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए। इसके लिए उसे शाहजहांपुर के लॉ कॉलेज से दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया जाए, जहां से वह अपनी एलएलएम की पढ़ाई जारी रख सके। कोर्ट ने लड़की को दिल्ली में और दस दिनों तक रुकने का इंतजाम करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि अब हम इस केस की मानिटरिंग नहीं करेंगे। हमारे पास यह मामला केवल उसकी पढ़ाई जारी रखने के लिए ही रहेगा।
30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया था कि वह छात्रा को दिल्ली में चार दिन तक रुकने का इंतजाम करे। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह छात्रा के माता-पिता को सुविधाजनक तरीके से दिल्ली लाने का इंतजाम करे ताकि वह छात्रा से मिल सकें। उसी रोज छात्रा से जजों ने चेंबर में बात की थी। जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एस बोपन्ना ने कहा था कि जब उन्होंने छात्रा से बात की तो उसने कहा कि वह उत्तर प्रदेश नहीं जाना चाहती है, वह तब तक दिल्ली में ही रहना चाहती है जब तक उसके माता-पिता न आ जाएं। वह अपने माता-पिता से मिलने के बाद ही आगे का रास्ता तय करेगी।
ये है मामला
इससे पहले 28 अगस्त को कुछ महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से बीजेपी नेता चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली छात्रा के लापता होने का मसला उठाया था और कोर्ट से मामले पर संज्ञान लेने को कहा तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि आप कागज़ात सौंप दीजिए, हम सुनवाई पर विचार करेंगे। वकीलों का कहना था कि वे नहीं चाहते कि एक बार फिर उन्नाव केस की पुनरावृत्ति हो, मामले में कॉलेज के निदेशक और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर आरोप है।
उल्लेखनीय है कि कानून की पढ़ाई करने वाली 23 साल की युवती ने सोशल मीडिया पर यौन शोषण का आरोप संबंधी वीडियो पोस्ट किया था। उसके बाद वह पिछले 24 अगस्त से गायब थी। इसे लेकर स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ अपहरण और धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है।