नई दिल्ली। चौतरफा विरोध के बीच वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कर्मचारी भविष्य निधि कोष :ईपीएफ: की निकासी पर कर लगाने का प्रस्ताव आज पूरी तरह से वापस ले लिया।
जेटली ने लोकसभा में आज स्वयं दिए गए एक बयान में कर्मचारी भविष्य निधि एवं सेवानिवृत्ति योजनाओं में कर लाभ के लिए योगदान पर 1.5 लाख रूपए की अधिकतम सीमा लगाने के प्रस्ताव को भी वापस ले लिया है। जेटली ने हालांकि राष्ट्रीय पेंशन योजना :एनपीएस: के 40 प्रतिशत कोष पर कर छूट और कर्मचारियों को ईपीएफओ द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं से जुड़े प्रस्तावों को यथावत रखा। मंत्री ने कहा कि इन विषयों पर ”जो ज्ञापन मिले हैं उनको देखते हुए सरकार इस प्रस्ताव की व्यापक समीक्षा करना चाहेगी इसलिए मैं अपने बजट भाषण का 138वें और 139वें पैरे में पेश प्रस्तावों को वापस लेता हूं। एनपीएस के अंशदाताओं को निकासी पर 40 प्रतिशत छूट का प्रस्ताव बरकरार है।ÓÓ वित्त मंत्री ने इससे पहले संकेत दिया था कि वह बजट प्रस्तावों पर चर्चा का जवाब देते समय ईपीएफ पर कर संबंधी प्रस्ताव को लेकर आपत्तियों का समाधान करेंगे। लेकिन उन्होंने बजट 2016-17 पर चर्चा शुरू होने से पहले ही प्रस्ताव वापस ले लिया। बजट 2016-17 में जेटली ने एक अप्रैल, 2016 के बाद ईपीएफ योगदान पर वापसी के समय कुल राशि के 60 प्रतिशत पर निकासी के समय कर लगाने का प्रस्ताव किया था। उन्होंने पेंशन एन्यूइटी योजना में निवेश की स्थिति में इसे आयकर से छूट का प्रस्ताव किया था। कर्मचारी संगठनों और राजनीतिक दलों दोनों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था जिनका कहना था कि सरकार उस वक्त कर्मचारियों पर कर लगा रही है जबकि उन्हें सबसे अधिक जरूरत होती है। सरकार ने इस पहल को यह कहते हुए उचित ठहराया कि इसका उद्देश्य पेंशन समाज तैयार करना और कर्मचरियों को एन्यूइटी योजनाओं में बचत के निवेश के लिए प्रोत्साहित करना है। बजट के एक दिन बाद सरकार ने एक बयान में संकेत दिया था कि वह कुल राशि के सिर्फ ब्याज वाले हिस्से पर कर लगाने पर विचार कर सकती है। लेकिन आज प्रस्ताव को पूरी तरह वापस ले लिया गया। जेटली ने अपने बयान में कहा कि सांसदों समेत समाज के विभिन्न वर्गों से प्रस्तुतियां मिली हैं जिनमें कहा गया है कि यह बदलाव लोगों को न चाहते हुए भी एन्युइटी योजनाओं में निवेश के लिए मजबूर करेगा।