नई दिल्ली । देश की पहली बुलेट ट्रेन के जरिए मुंबई से अहमदाबाद जाने वाले यात्री समुद्र के अंदर यात्रा करने का रोमांच अनुभव कर सकेंगे।
महत्वाकांक्षी बुलेट टे्रन परियोजना में शामिल रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुंबई से अहमदाबाद के बीच 508 किमी लंबे रेल कॉरीडोर में समुद्र के अंदर करीब 21 किमी की सुरंग बनाई गई है।
जेआईसीए की विस्तृत परियोजना रपट के अनुसार इस रेल कॉरीडोर के ज्यादातर हिस्से को उूंचे ट्रैक पर बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन ठाणे के बाद विरार की ओर जाने पर यह कॉरीडोर समुद्र के अंदर बनी सुरंग से गुजरेगा। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 97,636 करोड़ रूपए है। परियोजना का करीब 81 प्रतिशत वित्तपोषण जापान की ओर से उपलब्ध कराए गए रिण द्वारा किया जाएगा। परियोजना की कुल लागत में संभावित लागत वृद्धि भी शामिल है। अधिकारी ने बताया कि यह रिण 0.1 प्रतिशत सालाना ब्याज दर से 50 वर्षो के लिए है जिसकी रिण स्थगन की अवधि 15 साल होगी। रिण समझौते के मुताबिक रेल के डिब्बे, इंजन और सिगनल एवं बिजली प्रणाली जैसे अन्य उपकरणों को जापान से आयात किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि जापान के साथ यह रिण समझौता इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, जबकि इस रेल कॉरीडोर का निर्माण 2018 के अंत तक शुरू हो जाएगा।
महत्वाकांक्षी बुलेट टे्रन परियोजना में शामिल रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुंबई से अहमदाबाद के बीच 508 किमी लंबे रेल कॉरीडोर में समुद्र के अंदर करीब 21 किमी की सुरंग बनाई गई है।
जेआईसीए की विस्तृत परियोजना रपट के अनुसार इस रेल कॉरीडोर के ज्यादातर हिस्से को उूंचे ट्रैक पर बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन ठाणे के बाद विरार की ओर जाने पर यह कॉरीडोर समुद्र के अंदर बनी सुरंग से गुजरेगा। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 97,636 करोड़ रूपए है। परियोजना का करीब 81 प्रतिशत वित्तपोषण जापान की ओर से उपलब्ध कराए गए रिण द्वारा किया जाएगा। परियोजना की कुल लागत में संभावित लागत वृद्धि भी शामिल है। अधिकारी ने बताया कि यह रिण 0.1 प्रतिशत सालाना ब्याज दर से 50 वर्षो के लिए है जिसकी रिण स्थगन की अवधि 15 साल होगी। रिण समझौते के मुताबिक रेल के डिब्बे, इंजन और सिगनल एवं बिजली प्रणाली जैसे अन्य उपकरणों को जापान से आयात किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि जापान के साथ यह रिण समझौता इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, जबकि इस रेल कॉरीडोर का निर्माण 2018 के अंत तक शुरू हो जाएगा।