नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को अपने कार्यकाल के अंतिम दिन देश को संबोधन में कहा है कि भारत की आत्मा, बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है। भारत सिर्फ एक भौगोलिक सत्ता नहीं है। इसमें विचार, दर्शन, बौद्धिकता, शिल्प, नवान्वेषण और अनुभव का इतिहास है। संस्कृति, पंथ और भाषा की विविधता भारत को विशेष बनाती है। देश में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा की घटनाओं के बीच निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सहिष्णुता को भारतीय सभ्यता की नींव बताते हुए समाज को शारीरिक तथा मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करने की जरूरत बताई है। मुखर्जी ने पदमुक्त होने से पहले राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए सहिष्णुता और हिंसा की शक्ति को पुनर्जागृत करने की जरूरत है।
मुखर्जी ने कहा
“कि समावेशन समतामूलक समाज का आवश्यक आधार है। विकास में पिछड़ों और वंचितों की भागीदारी सुनिश्चित करना होगा। एक आधुनिक राष्ट्र का निर्माण सभी पंथ और धर्म के लिए समानता के भाव से होता है।”
राष्ट्रपति के पद से मुक्त होने की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रणब ने देश में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, सहृदयता और समानुभूति की क्षमता हमारी सभ्यता की सच्ची नींव है। आसपास होने वाली हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हमें जन-संवाद को शारीरिक और मौखिक, सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा।
प्रणब ने कहा कि एक अहिंसक समाज ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों के सभी वर्गों, विशेषकर पिछड़ों और वंचितों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है। हमें एक सहानुभूतिपूर्ण और जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए अहिंसा की शक्ति को पुनर्जागृत करना होगा। राष्ट्रपति के तौर पर अपने आखिरी संदेश में प्रणब ने राष्ट्रपति के तौर पर किए कार्यों का भी जिक्र किया।
अपनी उम्र की तरफ इशारा करते हुए प्रणब ने कहा कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उसकी उपदेश देने की प्रवृति बढ़ती जाती है। पर मेरे पास कोई उपदेश नहीं है। उन्होंने कहा, पचास साल के सार्वजनिक जीवन के दौरान भारत का संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा और संसद मेरा मंदिर। हमेशा देश के लोगों की सेवा करने की अभिलाषा रही। राष्ट्रपति के तौर पर भी इसे निभाया।
नव निर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बधाई देते हुए प्रणब ने कहा कि मैं भावी राष्ट्रपति का हार्दिक स्वागत करता हूं और उन्हें आने वाले वर्षों में सफलता और खुशहाली की शुभकामनाएं देता हूं।
आतंकियों पर दया नहीं
राष्ट्रपति रहते 34 दया याचिकाओं पर फैसला किया, जिनमें से 30 ठुकरा दीं और बाकी चार पर फैसला बदल दिया। इनमें अफजल गुरु और अजमल कसाब जैसे आंतकियों की याचिकाएं शामिल थीं, जिन्हें प्रणब के कार्यकाल में ही फांसी हुई।
अध्यादेशों पर नसीहत
संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कैबिनेट से पारित किसी अध्यादेश को नहीं लौटाया लेकिन सरकार को सलाह जरूर दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली खुद कई बार नीतिगत मुद्दों पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति भवन पहुंचे।
राज्यपाल को सलाह
2016 में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा की अनुशंसा पर वहां राष्ट्रपति शासन लगा। इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को गलत माना। इसके बाद एक सम्मेलन में प्रणब ने कहा, संवैधानिक पदों पर बैठे हम सभी लोगों का कर्तव्य है कि हम संविधान की पवित्रता को बनाए रखें।
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार शैक्षणिक संस्थानों में बोलने की आजादी को कुचल रही है। इस पर प्रणब ने सीधे सरकार को कुछ नहीं कहा। लेकिन बोलने के अधिकार का समर्थन करते हुए एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, भावी पीढ़ी हमसे जवाब मांगेगी। हमें अपने बुनियादी मूल्यों की रक्षा करनी होगी।
मोदी ने बताया पिता-तुल्य
प्रणब के बीते तीन साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रहे। अपने विदाई भाषण में उन्होंने कहा कि उनके प्रति विनम्र व्यवहार के लिए वह मोदी को हमेशा याद रखेंगे। इससे कुछ ही दिन पहले मोदी ने प्रणब को पिता के समान बताया था।
आधुनिक राष्ट्र निर्माण में सभी की भूमिका अहम
मुखर्जी ने कहा कि समावेशन समतामूलक समाज का आवश्यक आधार है। विकास में पिछड़ों और वंचितों की भागीदारी सुनिश्चित करना होगा। एक आधुनिक राष्ट्र का निर्माण सभी पंथ और धर्म के लिए समानता के भाव से होता है। विकास को वास्तविक बनाने के लिए यह जरूरी है कि सबसे गरीब व्यक्ति भी इसमें शामिल हो।
नए राष्ट्रपति को बधाई
इसी तरह उन्होंंने कहा, ‘हमारे विश्वविद्यालय सिर्फ रटने वालों की जगह नहीं बनें बल्कि जिज्ञासू प्रवृत्ति के लोगों की जगह बने।’ उन्होंने मंगलवार को शपथ ले रहे नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बधाई भी दी। साथ ही अपने कार्यकाल के बारे में कहा कि इस दौरान वे कितना सफल रहे यह इतिहास अपने निर्मम मापदंड से ही तय करेगा। संबोधन के बाद पीएम मोदी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन लोक भवन बन गया।