नई दिल्लीः बैंक शाखाओं में आपके लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट जमा कराने के लिए शुक्रवार आखिरी दिन है. इसके बाद कुछ खास किस्म के लोगों को ही विशेष शर्तें पूरी करने के बाद ही रिजर्व बैंक में पैसा जमा कराने की सुविधा होगी. उधर, 31 तारीख को या उसके बाद तय सीमा से ज्यादा पुराने नोट रखने पर जुर्माना देना होगा.
नोटबंदी को लेकर नया अध्यादेश उन लोगों को परेशानी दे सकता है जो देश में रहते हुए भी अब तक 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट नहीं जमा करा पाए हैं. अध्यादेश के जरिए सरकार ने साफ कर दिया है कि 1 जनवरी या उसके बाद कौन लोग रिजर्व बैंक जाकर पैसा जमा करा सकेंगे और वो भी हलफनामा देने के बाद. प्रावधानों के मुताबिक,
वो व्यक्ति जो 9 नवम्बर से 30 दिसम्बर तक देश से बाहर रहा हो, उसे रिजर्व बैंक में हलफनामा देकर पुराने नोट जमा कराने की सुविधा मिलेगी.सरकार कुछ और किस्म के व्यक्तियों के बारे में अधिसूचना जारी करेगा और वही रिजर्व बैंक में हलफनामा देकर पैसा जमा करा सकेंगे.हलफनामे में गलत जानकारी देने पर 50 हजार रुपये या फिर जमा कराए गए नोट के पांच गुना के बराबर, जो भी ज्यादा हो, जुर्माना देना होगा.
हलफनामा देने भर से ही अधिसूचित किए गए लोगों को पैसा जमा कराने की अनुमति नहीं मिलेगी. रिजर्व बैंक जब तक जमाकर्ता की दलीलों से संतुष्ट होगा, तब तक कुल जमा कराए नोट के बराबर की कीमत बैंक खाते में दर्ज नहीं हो सकेगी. और हां, यदि रिजर्व बैंक दलीलों को खारिज कर दे तो 14 दिनों के भीतर इसके खिलाफ रिजर्व बैंक के बोर्ड के सामने अपील कर सकता है.
अध्यादेश लाने का एक मकसद पुराने नोटों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से लगाम लगाने के लिए भी उपाय बताने हैं. ये इसलिए भी जरुरी हैं, क्योंकि अभी भी कुछ जगहों पर मजदूरी देने या काले धन को सफेद करने की कोशिश में पुराने नोट का इस्तेमाल हो रहा है. इसी को ध्यान मे रखते हुए 31 दिसम्बर से या उसके बाद आम लोग ज्यादा से ज्यादा 500 और 1000 रुपये के 10 पुराने नोट अपने पास रख सकेंगे. 31 दिसम्बर के बाद शोध करने वालों को 25 पुराने नोट रखने की इजाजत होगी तय सीमा से ज्यादा नोट रखने की सूरत में 10 हजार रुपये या फिर जब्त किए नोट की कीमत के पांच गुना बराबर जुर्माना देना होगा.
अध्यादेश के जरिए 8 नवंबर को गैर कानूनी घोषित किए गए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट पर रिजर्व बैंक की जवाबदेही खत्म करने का प्रावधान है. जवाबदेही से यहां मतलब धारक को नोट पर छपी कीमत के बराबर अदा करने का आरबीआई गवर्नर की ओर से दिया गया वचन है. अध्यादेश की बदौलत अब पुराने नोट को लेकर सरकार या रिजर्व बैंक के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नही की जा सकेगी.
फिलहाल, अध्यादेश के बाद बजट सत्र में विधेयक पारित कराना होगा. उम्मीद है कि विधेयक पारित होने के बाद जितने पुराने नोट रिजर्व बैंक के पास वापस नही आते हैं, उतनी कीमत के बराबर रकम सरकारी खजाने में पहुंच सकेगी.