नई दिल्लीू। राष्ट्रीय राजधानी में खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने शुक्रवार को डीजल से चलने वाले वाहनों का पंजीकरण नहीं किए जाने का आदेश दिया है। साथ ही दस साल की उम्र पूरी कर चुके डीजल वाहनों को भविष्य में चलाने की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया।
जस्टिस स्वतंतर कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि हमने सात माह पहले डीजल और पेट्रोल वाहनों को निर्धारित उम्र में हटाने का निर्देश जारी किया था। उस संबंध में आपने क्या किया, जवाब में दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि डीजल वाहनों को निर्धारित दस साल का होने के बाद चलाने की अनुमति नहीं दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इस पर पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं। सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर कदम उठाए जा रहे हैं।
कूड़ा जलाने और मलबा प्रदूषण पर क्या किया
इस पर पीठ ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की तीन मुख्य वजह हैं। पहला कूड़ा व अन्य सामग्री खुले में जलाया जाना, दूसरा भवन व अन्य निर्माण कार्य से धूल और तीसरा वाहनों से होने वाला प्रदूषण। पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि हम खुले में कूड़ा जलाने और मलबा से होने धूल के आदेश का अनुपालन किया है या नहीं। जवाब में वकील ने कहा कि 103 चालान कूड़ा जलाने और 41 मलबा से संबंधित चालान किए गए हैं।
वाहनों के धुएं से हो रही दिल्ली की आबोहवा खराब
एनजीटी ने कहा कि वाहनों की वजह से दिल्ली की आबोहवा बुरी तरह खराब हो रही है। प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, अब सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए और डीजल वाहनों के मामले में यह निर्णय लेना चाहिए कि नए या पुराने पंजीकरण किया जाना चाहिए या नहीं। पीठ ने कहा कि अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि इस मामले में सभी पक्षकारों की दलीलों पर गौर करने के बाद हम यह निर्देश जारी कर रहे हैं कि डीजल के वह वाहन, जिनकी उम्र दस साल से ज्यादा है और नए डीजल वाहनों का पंजीकरण अब दिल्ली में नहीं किया जाएगा।
सरकारें डीजल वाहन चरणबद्ध तरीके से हटाएं
एनजीटी ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर विचार करने को कहा कि वह नए डीजल वाहन अपने विभागों से चरणबद्ध तरीके से हटाएं और नए डीजल वाहनों की खरीद नहीं करें। एनजीटी ने कहा कि पूरे देश में प्रदूषण का स्तर बड़ी तेजी से बढ़ रहा है और इसकी प्रमुख वजह डीजल के वाहन ही हैं, ऐसे में सरकार की ओर से यह कदम उठाया जाना जरूरी है जिससे आम जनता तक यह संदेश जाए कि उनके लिए क्या करना जरूरी है।
जस्टिस स्वतंतर कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि हमने सात माह पहले डीजल और पेट्रोल वाहनों को निर्धारित उम्र में हटाने का निर्देश जारी किया था। उस संबंध में आपने क्या किया, जवाब में दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि डीजल वाहनों को निर्धारित दस साल का होने के बाद चलाने की अनुमति नहीं दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इस पर पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं। सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर कदम उठाए जा रहे हैं।
कूड़ा जलाने और मलबा प्रदूषण पर क्या किया
इस पर पीठ ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की तीन मुख्य वजह हैं। पहला कूड़ा व अन्य सामग्री खुले में जलाया जाना, दूसरा भवन व अन्य निर्माण कार्य से धूल और तीसरा वाहनों से होने वाला प्रदूषण। पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि हम खुले में कूड़ा जलाने और मलबा से होने धूल के आदेश का अनुपालन किया है या नहीं। जवाब में वकील ने कहा कि 103 चालान कूड़ा जलाने और 41 मलबा से संबंधित चालान किए गए हैं।
वाहनों के धुएं से हो रही दिल्ली की आबोहवा खराब
एनजीटी ने कहा कि वाहनों की वजह से दिल्ली की आबोहवा बुरी तरह खराब हो रही है। प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, अब सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए और डीजल वाहनों के मामले में यह निर्णय लेना चाहिए कि नए या पुराने पंजीकरण किया जाना चाहिए या नहीं। पीठ ने कहा कि अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि इस मामले में सभी पक्षकारों की दलीलों पर गौर करने के बाद हम यह निर्देश जारी कर रहे हैं कि डीजल के वह वाहन, जिनकी उम्र दस साल से ज्यादा है और नए डीजल वाहनों का पंजीकरण अब दिल्ली में नहीं किया जाएगा।
सरकारें डीजल वाहन चरणबद्ध तरीके से हटाएं
एनजीटी ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर विचार करने को कहा कि वह नए डीजल वाहन अपने विभागों से चरणबद्ध तरीके से हटाएं और नए डीजल वाहनों की खरीद नहीं करें। एनजीटी ने कहा कि पूरे देश में प्रदूषण का स्तर बड़ी तेजी से बढ़ रहा है और इसकी प्रमुख वजह डीजल के वाहन ही हैं, ऐसे में सरकार की ओर से यह कदम उठाया जाना जरूरी है जिससे आम जनता तक यह संदेश जाए कि उनके लिए क्या करना जरूरी है।