नई दिल्ली: अल कायदा के दो संदिग्ध कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और ओडिशा से गिरफ्तार करने का दावा करते हुए दिल्ली पुलिस ने आज कहा कि उसने इन गिरफ्तारियों के साथ ही देश से बाहर सक्रिय इस आतंकवादी समूह के भारतीय उपमहाद्वीप विंग के माड्यूल का पर्दाफाश कर दिया है।
पुलिस ने बताया कि मोहम्मद आसिफ (41) नाम के शख्स को जहां उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर से गिरफ्तार किया गया, वहीं एक अन्य कार्यकर्ता अब्दुल रहमान (37) को ओडिशा के कटक के जगतपुर इलाके से आज गिरफ्तार किया गया । मोहम्मद आसिफ अल कायदा के भारतीय उपमहाद्वीप विंग के भर्ती और प्रशिक्षण को संचालित करने वाले विंग का संस्थापक सदस्य और भारतीय प्रमुख (अमीर) है।
भुवनेश्वर में पुलिस आयुक्त आरपी शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि रहमान को जगतपुर इलाके के पश्चिमाकच्चा गांव स्थित उसके घर से दिल्ली पुलिस और भुवनेश्वर कटक आयुक्तालय पुलिस ने संयुक्त छापामारी अभियान चलाकर गिरफ्तार किया। दिल्ली में विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) अरविंद दीप ने बताया कि दोनों को गैरकानूनी गतिविधि (निरोधक) कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने आसिफ के पास से तीन मोबाइल फोन, एक लैपटाप, (मौलामा उमर के लिखे) ऐसे आलेख और दस्तावेज जिनसे लोगों को जिहाद के पक्ष में आने को प्रेरित किया जा सके और जिहादी साहित्य बरामद हुआ है।
समझा जाता है कि रहमान के सउदी अरब, पाकिस्तान और दुबई में अंतरराष्ट्रीय संपर्क हैं। रहमान विवाहित है और उसके तीन बच्चे हैं। वह कटक के निकट टांगी इलाके में एक मदरसा चलाता है। पुलिस ने बताया कि रहमान के भाई ताहिर अली को कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर पर हुए आतंकी हमले के संबंध में 2001 में गिरफ्तार किया गया था।
दीप ने बताया कि जून 2013 में आसिफ दो अन्य युवकों के साथ दिल्ली से ईरान के तेहरान रवाना हो गया था जहां वह कासिम से मिला जिसने उनके लिए ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के जाहिदान के लिए टिकटों की व्यवस्था की। वहां से वे ईरान पाकिस्तान सीमा की ओर गए और उन्होंने सीमा को पैदल पार किया।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान पहुंचने के बाद भी उन्होंने अपनी यात्रा जारी रखी और वे दक्षिणी वजीरिस्तान पार कर उत्तर वजीरिस्तान के सुमाली पहुंचे। वहां आसिफ ने अपने उस्मान (कूट नाम असद) नाम के एक ऐसे भारतीय मित्र से मुलाकात की जो काफी पहले ही भारत छोड़कर वहां जा बसा था। यह उस्मान ही था जिसने आसिफ का मौलाना आसिम उमर से परिचय कराया। मौलाना आसिम उमर भारतीय मूल का आतंकवादी था जिसे और किसी ने नहीं बल्कि अल कायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने खुद एक्यूआईएस का अमीर घोषित किया था।
वजीरिस्तान में आसिफ को सघन प्रशिक्षण दिया गया, इस बात को ध्यान में रखकर कि उसे वापस लौटने पर भारत में एक्यूआईएस का प्रधान विचारक बनना है। विशेष प्रकोष्ठ के प्रमुख ने बताया कि यह वही समय था जब अमेरिकी सेना उसके ठिकाने के आसपास स्थित बहुत से स्थानों पर सफल ड्रोन हमले कर रही थी और उसी तरह के एक हमले में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का प्रमुख हकीमुल्लाह महसूद मारा गया था।