लखनऊ। योगी आदित्य नाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। दो डिप्टी सीएम के साथ ही 40 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। सीएम पद की दौड़ में शामिल रहे स्वतंत्र देव सिंह को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व अमित शाह के करीबी माने जाने वाले स्वतंत्र देव सिंह ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली।
जब राज्यपाल ने योगी के मंत्री को शपथ ग्रहण के बाद रोक लिया
इस दौरान एक वाकया ऐसा हुआ जिसे देखकर वहां लोग मुस्कुरा दिए। दरअसल जिस वक्त स्वतंत्र देव सिंह ने राज्यमंत्री की शपथ ली और उसके बाद वह योगी आदित्यनाथ की ओर उनसे आशीर्वाद लेने पहुंचे तो राज्यपाल राम नाईक ने उन्हें रोक लिया, उन्होंने कहा कि हमसे नहीं मिलेंगे, जिसके बाद स्वतंत्रदेव सिंह वापस राज्यपाल के पास लौटे और उनसे हाथ मिलाकर उनका आशीर्वाद लिया। जिसके बाद राम नाईक ने उनसे मुस्कुराकर हाथ मिलाया। आपको बता दें कि शनिवार को योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था, विधायक दल की बैठक के बाद योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा वेंकैया नायडू ने मीडिया के सामने की, उनके साथ ही दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्या को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। योगी सरकार में 23 विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जबकि 9 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार व 15 राज्यमंत्री बनाए गए हैं।
राजनीतिक सफर
1986- आरएसएस प्रचारक बने.
1988-89-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संगठन मंत्री.
1991- भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी.
1994- बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी.
1996-युवा मोर्चा का महामन्त्री.
1998- फिर से भाजपा युवा मोर्चा का महामंत्री.
2001- भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष.
2004- विधान परिषद के सदस्य.
2004 प्रदेश महामंत्री बने.
2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामंत्री.
2010- प्रदेश उपाध्यक्ष बने.
2012- से अभी तक महामंत्री बने हुए.
पत्रकारिता में अाजमाया हाथ
उत्तर प्रदेश में सीएम पद के दावेदारों में शामिल हुए बीजेपी के नेता स्वतंत्र देव सिंह कभी पत्रकारिता भी किया करते थे। छात्र राजनीति के बीच वह 1989-90 में स्वतंत्र भारत नामक अख़बार से जुड़े। बुंदेलखंड के छोटे से जिले उरई में वह इस अखबार के संवाददाता के तौर पर काम करते थे, लेकिन पत्रकार के तौर पर वह सफल नहीं हुए। कॉलेज में छात्र संघ चुनाव हारे। 2012 में एमएलए इलेक्शन भी बुरी तरह से हारे।
विस्तृत में…
- यूपी में सीएम पद के दावेदार स्वतंत्र देव सिंह एक बार एमएलसी ज़रूर बने। उनके नाम की खूब चर्चा हुई, लेकिन बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का सीएम बना दिया।
- स्वतंत्र देव सिंह का राजनैतिक इतिहास बेहद उतार चढ़ाव भरा रहा है। स्वतंत्र देव सिंह बेहद गरीबी में पले-बढ़े। छात्र जीवन में ही राजनीति से जुड़े, लेकिन कभी भी करिश्माई सफलता नहीं मिली। इसके बाद भी वह एबीवीपी से जुड़े रहे।
- स्वतंत्र देव सिंह बुंदेलखंड के उरई से आते हैं। लेकिन वह मूल रूप से मिर्जापुर के रहने वाले हैं। वह 1984 में अपने भाई शिवदान सिंह के साथ उरई आये थे। शिवदान सिंह पुलिस विभाग में तबादले के कारण यहां आए। स्वतंत्र देव सिंह भी अपने भाई के साथ यहां आ गए।
- यहां से इनका राजनैतिक जीवन शुरू हुआ। 1985 में ग्रेजुएशन में दाखिले के बाद 1986 में स्वतंत्र देव सिंह ने उरई के डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्र संघ इलेक्शन लड़ा लेकिन हार गए।
ऐसे हुई राजनीति में इंट्री
- कॉलेज से निकलने के बाद स्वतंत्र देव सिंह उरई में ही रहते हुए 1989 में ‘स्वतंत्र भारत’ नामक अखबार में बतौर जिला संवाददाता काम करना शुरू कर दिया।
- उन्होंने इसमें करीब तीन साल तक काम किया। कभी स्वतंत्र देव सिंह के साथ रहे उरई के सीनियर जर्नलिस्ट बताते हैं कि स्वतंत्र देव सिंह ने तब के उभरते हिंदूवादी नेता विनय कटियार का इंटरव्यू अखबार में पब्लिश करा दिया। इससे वह विनय कटियार के करीबी हो गये। 1992 में उन्होंने पूरी तरह से पत्रकारिता छोड़ दी. वह संगठन में कार्यकर्ता के रूप में उरई से झांसी आ गए।
- अब तक स्वतंत्र देव सिंह का नाम कांग्रेस सिंह था. संघ को बहुत कन्फ्यूज़न होता था। संघ में उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह रख दिया गया।
- यह नाम स्वतंत्र भारत अखबार से प्रेरित था, जिसमें कांग्रेस सिंह काम किया करते थे।
- इस तरह उन्हें स्वतंत्र देव सिंह के नाम से जाना जाने लगा।
- झांसी में एबीवीपी में शामिल हुए। उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए उन्हें कानपुर भेज दिया गया
- कानपुर में वह हनुमान मिश्रा के नेतृत्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा के साथ खड़े हो गए।
- 2000 में उन्हें युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया।
- इसी दौरान उनके नेतृत्व में आगरा में हुए पार्टी के राष्ट्रीय सम्मलेन उनका राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से अच्छा परिचय हुआ।
- इसका इनाम ये मिला कि उन्हें युवा मोर्चा से मुख्यधारा में लाते हुए पार्टी ने यूपी का महामंत्री बना दिया गया।
- उन्हें उरई में सहकारी समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया।
2012 में हुई जमानत जब्त
- 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने स्वतंत्र देव सिंह को उरई की कालपी सीट से चुनाव लड़े। यहां उन्हें बुरी तरह हार मिली।
- कांग्रेस की प्रत्याशी उमा कांति के सामने उनकी जमानत तक जब्त हो गयी। इसके बाद भी उन्हें बीजेपी ने एमएलसी बनाया।
- 2014 में हुए आम चुनाव उनके लिए महत्त्वपूर्ण रहे। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में होने वाली रैलियों के आयोजन की कमान दे दी।
- यहीं से वह पीएम मोदी व अमित शाह के और करीब आ गए। बुंदेलखंड में मजबूत पकड़ के चलते 19 में से अधिकतर सीटों पर टिकट उनकी सलाह पर ही दिए गए। बीजेपी ने यहां से सभी 19 सीटें जीती तो उनका कद और बढ़ गया।
पीएम मोदी के काफी करीबी
कुशल संगठनकर्ता के रूप में पहचान
अनुशासनप्रिय नेता
सीएम के दौड़ में थे शामिल
– पिछड़ा वर्ग से आने के कारण स्वतंत्र देव सिंह को उत्तर प्रदेश का सीएम के पद का दावेदार माना गया।
– लेकिन बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया।
– उरई के जर्नलिस्ट केपी सिंह बताते हैं कि स्वतंत्र देव सिंह भले ही चुनाव हारते रहे लेकिन सेवा भाव व नर्म स्वभाव के कारण एबीवीपी, संघ, व बीजेपी में जगह बनाते रहे और सीएम के नाम की चर्चा तक पहुंच गए।
उरई के लोगों में निराशा
– उरई में लोग चाहते थे कि स्वतंत्र देव सिंह सीएम बनें। इसके लिए उरई के संस्कृत महाविद्यालय के अंदर बने शिव मंदिर में स्वतंत्रदेव सिंह को सीएम बनाए जाने के लिए पांच दिन से मंत्रोच्चारण चल रहा था। संस्कृत महाविद्यालय के टीचर पूनेंद्र मिश्र कहते हैं कि वह चाहते थे स्वतंत्र देव सिंह सीएम बनें। स्वतंत्र देव सिंह को आगे भी इसी तरह मेहनत जारी रखने होगी।